श्री चंद्रप्रकाश देवड़ा
जीवन परिचय
बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी, समाज के एक प्रमुख दानदाता, रावत ग्रुप के चैयरमेन स्वर्गीय श्री चंद्रप्रकाश देवड़ा
श्री चंद्रप्रकाश देवड़ा का जन्म वर्ष 1941 को शरद पुर्णिमा के दिन सेठ श्री मांगीलाल देवड़ा के यहां हुआ। आपके दादा जी स्व. श्री रावतमल देवड़ा मावे व प्याज की कचौरी के अविष्कारक थे। शुद्धता एवं ईमानदारी से मिठाई के पैतृक व्यवसाय में राजस्थान ही नहीं पूरे भारत में आप का नाम है तथा आज भी रावत की मिठाई शुद्धता एवं क्वालिटी के लिए अपनी विशेष पहचान बनाए हुए है।
श्री चंद्रप्रकाश देवड़ा की प्रारंभिक शिक्षा उम्मेद हाई स्कूल से हुई शुरू से ही सेवा भाव की प्रवृति के कारण वे अल्प आयु में प्रेसीडेंट स्काऊट बनें। उस समय भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित श्री जवाहरलाल नेहरू ने इनके कार्य से प्रभावित हो इनके बैचों के बारे में जानकारी ली थी।
वर्ष भर कॉलेज के बाद इन्होंने कई छोटे-मोटे व्यवसाय प्रारंभ किए जिनमें कैटिन, क्राकरी की दुकान, प्रोपर्टी व्यवसाय इत्यादि। लेकिन वर्ष 1970-71 में जयपुर में इन्होंने अपने पैतृक व्यवसाय में कदम रखते हुए रावत मिष्ठान भण्डार का शुभारंभ किया जो कि पहले उनके बड़े भाई श्री विजयेन्द्र देवड़ा चलाते थे। आपका विवाह श्रीमती अरूणा से हुआ आपके परिवार में 5 पुत्रियां व 1 पुत्र है। आपकी धर्मपत्नी ने भी आपके व्यवसाय में कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग दिया और मिठाई के व्यवसाय को बढ़ाने में मदद की।
10 वर्षो तक लगातर परिश्रम व ईमानदारी से शुद्धता एवं क्वालिटी से अपने व्यवसाय को बढ़ाया तथा इनका रावत मिष्ठान भण्डार प्रतिष्ठान अपनी प्रसिद्विपाने लगा। सामाजिक सेवा के चलते वर्ष 1979-80 में पुष्कर माली सैनी समाज के सम्मेलन में आप को सर्वसम्मति से समाज का अध्यक्ष चुना गया। आपने संपूर्ण राजस्थान में अपने साथियों के साथ दौरा करके समाज को संगठित करने एवं राजनैतिक चेतना जागृत करने की पहल की व उसमें सफलता भी प्राप्त की। आपने राजनीतिक क्षेत्र में भी उस समय के मुख्यमंत्री श्री मोहनलाल सुखाडियां से लेकर अपने अंतिम समय तक राजस्थान के सभी मुख्यमंत्रियों के साथ घनिष्ठ सम्बंध बनाए रखे। आपने 1980 में जब मोहनलाल सुखाड़िया राजस्थान में चुनाव प्रभारी थे तो श्री चंद्रप्रकाश देवड़ा ने जोधपुर लोकसभा क्षेत्र से श्री अशोक गहलोत को टिकट दिलाने की पुरजोर कोशिक की तथा उसमें सफलता प्राप्त की यह चुनाव श्री अशोक गहलोत ने जीत कर फिर अपने राजनीतिक कैरियर में कभी पिछे मुड़कर नहीं देखा हमेशा सफलताएँ प्राप्त करते रहे।
श्री चंद्रप्रकाश देवड़ा का व्यवसाय तो जयपुर में था परंतु जन्म स्थान जोधपुर होने के कारण इनका आत्मिक संबंध मारवाड़ में ही था इसी के चलते प्रत्येक माह श्री चंद्रप्रकाश देवड़ा 10 से 12 दिन जोधपुर में ही रहते इस बीच इन्होंने जोधपुर में रावत होटल, मथानियां में कृषि फार्म बना कर उसका विकास किया जयपुर में भी रावत कृषि फार्म बनाया। आर्य समाज में इनकी पक्की आसी थी पिछले 55 वर्षो से रोज सुबह यज्ञ करने के बाद ही भोजन लेते थे। यहीं नहीं आपके परिवार के प्रत्येक सदस्यों पुत्र-पुत्रियों, दामाद के साथ नाती पोती भी रोज सुबह यज्ञ करने के बाद ही भोजन लेते है। जोधपुर के स्वामी दयानंद स्मृति भवन में प्रथम यज्ञ में आप यजमान बनें पिछले वर्ष आने स्वामी दयानंद स्मृतिभवन में यज्ञ शाला व भवन निर्माण हेतु 21,00,000/- लाख रूपये की सहयोग राशि भेंट की। प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा के दन अपने जन्मदिवस पर इष्ट मित्रों, सहयोगियों व परिवार के लोगों के साथ विशेष रूप से पिश्तों की खीर खाजा बना सभी के साथ जन्मदिवस बनाते थे।
आप स्वामी रामदेव पंतजलि योगपीठ के आजीवन सदस्य भी थे। स्वामी रामदेव को आपने 5 लाख रूपये की सहयोग राशि भी भेंट की थी। 2005 में स्वामी रामदेव के जोधपुर आगमन पर 15 नवंबर को सर्किट हाऊस के सामने अपने परिसर में रावत योग प्रशिक्षण केन्द्र का उद्घाटन भी कराया था, तभी से लेकर आज तक यहां पर प्रतिदिन यज्ञ, योग एवं प्राणायाम की निःशुल्क क्लासेज से सैकड़ों लोग लाभान्वित हो रहे है। पिछले 13 वर्षो से हजारों लोगों ने यहां से स्वास्थ्य लाभ लिया है। यहीं नहीं आज तक यज्ञ शाला का संपूर्ण व्यय आपके परिवार द्वारा ही वहन किया जाता है।
आप सभी से मिलनसार होने के कारण तथा जयपुर में राजनीतिक पार्टियों में अपने संबंधों के चलते जोधपुर ही नहीं राजस्थान से समाज के लोग व पुराने मित्रों के सुख दुख में सहभागी रहते थे। जयपुर में किसी भी समाज एवं अन्य व्यक्ति की कोई समस्या होती तो श्री चंद्रप्रकाश देवड़ा उसके समाधान हेतु हर संभव प्रयास करते थे। उनके यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को वो स्वयं अपने साथ भोजन खिला कर ही वापस स्टेशन तक पहुंचाते थे। आप की सहयोग की भावना के चलते वर्ष 2008 में बसपा ने आपको ओसियां से विधानसभा का टिकट दिया तथा आपने वहां प्रथम बार में ही 20,000 से अधिक वोट प्राप्त कर अपनी राजनीतिक पकड़ साबित की। आप हमेशा से विधायक बन कर सर्व समाज की सेवा करना चाहते थे लेकिन राजनीति में सफल नहीं होने के बावजूद अंतिम समय तक सभी राजनीतिक पार्टियों में आपके अच्छे संबंधों के चलते उनके पास जो भी व्यक्ति अपनी समस्या लेकर गया उसकी मदद हेतु तन-मन-धन से सहयोग करते थे। आप पिछले 1 माह से अस्वस्थ थे तथा दिनांक 4 मार्च, 2018 को जयपुर में अंतिम सांस ली। इस प्राकर माली समाज के वरिष्ठ समाज रत्न को समाज ने खो दिया आपकी कमी हमेशा समाज में रहेगी तथा हम सभी परमपिता परमेश्वर से आपकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करते है।