डॉ. (सुश्री) ओमकुमारी गहलोत
शिक्षा प्रेमी, प्रथम महिला महापौर, नगर निगम, जोधपुर
आपका जन्म सन् 1937 में पिता श्री बस्तीराम गहलोत के यहाँ हुआ। आपने शिक्षा विभाग, राज्य सरकार की नौकरी पर रहते हुए, डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की तथा सहायक उप-निदेशक के पद से सेवानिवृत हुई। आप 12 वर्ष तक लगातार संयुक्त सचिव पद पर (भारत स्काउट गाइड, जोधपुर मण्डल की) रही तथा वर्तमान में उप-प्रधान पद पर कार्यरत है। आप जिला कलेक्टर द्वारा सात बार विभिन्न कार्य क्षेत्र में सम्मानित की गई। समाज द्वारा 1985 में समाज विभूषण सम्मान से विभूषित किया गया। 1983 में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कर्ष सेवाओं के लिए राज्यपाल राजस्थान सरकार द्वारा सम्मानित किया गया तथा 1999 में बार-टू मेडल ऑफ मेरिट पदक प्रदान किया गया। आपने वैदिक कन्या उ.मा.विद्यालय में एक कक्ष का निर्माण, चैपासनी विट्ठलेश्वर में एक “हट” का निर्माण करवाया। हरिद्वार जोधपुर भवन में निर्माण हेतु 31,000 रूपये एवं पावटा अस्पताल में भी आर्थिक सहयोग दिया। आप वार्ड सं. 41 नगर निगम जोधपुर से 1989 में पार्षद चुनी गई तथा 04.11.2004 को इसी वार्ड से पुनः पार्षद जीत कर महापौर, नगर निगम के पद को सुशोभित किया।
डॉ. ओमकुमारी ने अपने अनुभव कुछ इस तरह साझा किया उन्होंने कहा कि महिला संवेदनशील होती है। उन्होंने कहा वो स्वयं सरकारी नौकरी में रही। यहां प्रशासनिक कार्यकाल रहा तो जब महापौर का काम देखना शुरू किया तो बहुत ज्यादा कठिनाई नहीं आई। कई बार प्रशासनिक होती थी लेकिन अच्छी बात यह थी की मेरे सारे साथी अधिकारी आईएएस रहे।
उनकी और मेरी मानसिकता से अधिक से अधिक काम करवाने की थी। मेरे समय में सरकार भाजपा की थी और बोर्ड कांग्रेस का था। ऐसे में बजट की सबसे ज्यादा समस्या रही। सरकार का सहयोग कम था। सरकार ने चुनौती दी कि खुद कमाओ और खर्च करो। इसे भी हमने स्वीकार किया। सरकारी विभागों से अधिकांश वसूली की। 60 पार्षद थे उस समय, उन्होंने जो मांगा और जितनी आमदनी थी उस हिसाब से काम करवाया।