मंजिल सैनी (डी.आई.जी.)
देश की पहली ऐसी महिला ऑफिसर हैं, जिन्होंने शादी के बाद आई. पी. एस. के लिए क्वालिफाई किया,
लैडी सिंघम नाम से प्रसिद्ध इन पर फिल्म भी बन चुकी है
मंजिल सैनी का जन्म 19 सितंबर, 1975 को दिल्ली में हुआ था। वह दिल्ली कॉलेज ऑफ इकोनॉमिक्स से पासआउट हैं। यहां से गोल्ड मेडल जीता है। मंजिल 2005 बैच की आई.पी.एस. ऑफिसर हैं। और उत्तर प्रदेश के बंदायू, मुजफ्फरनगर, इटावा, मथुरा समेत आधा दर्जन से भी ज्यादा जनपदों में कार्यरत रही हैं. आप उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सिक्योरिटी में भी अपनी कार्य को बखूबी से अंजाम दिया था।
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पहली दफा महिला एसएसपी पद पर तैनात हुई मंजिल सैनी हिमाचल के ऊना जिला के दिल्ली की बहु हैं। उनके पति जसपाल देहल एक्सर्पोट कारोबारी हैं, जबकि जेठ डा. जी.एस. देहल जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में पंचकर्मा के इंचार्ज हैं।
एक मजदूर की शिकायत पर किडनी रैकेट का भंडाफोड़ करने और मथुरा में प्रदर्शनकारी किसानों से जूझने वाली आईपीएस अफसर मंजिल दबंग अंदाज के चलते ‘लेडी सिंघम’ के रूप में चर्चित हैं।
मंजिल की उत्तर प्रदेश पुलिस के इस प्रमुख पद पर तैनाती के समय जिले में खुशी की लहर दोड़ पड़ी सोशल मीडिया पर भी उनके लेडी सिंघम के रूप में चर्चे खुब प्रचारित हो रखे थे। लखनऊ एसएसपी के रूप में आईपीएस मंजिल सैनी के चार्ज लेने से अपराधियों और अवैध धंधेबाजों से ज्यादा खौफजदा कई थानेदार थे, थानेदारों के भी होश उड़े हैं। इनमें से कई तो बड़े अधिकारी एवं सत्ता दल के नेताओं के पास सलामी ठोकने में जुटे हैं। दरअसल, यह खौफ इसलिए है, क्योंकि ऊना की यह दबंग आईपीएस बहू इससे पहले मुजफ्फरनगर, मथुरा, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश के गृह नगर जनपद इटावा में जलवा दिखा चुकी हैं। यहां पोस्टिंग के दौरान मंजिल ने लापरवाह, आरामपरस्त और भ्रष्ट अधिकारियों का जीना दूभर कर दिया था।
मंजिल पर यूपी की सरकार ने भरोसा है। लखनऊ पोस्टिंग के समय बिगड़ी कानून व्यवस्था के आगे तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी आशुतोष पांडेय ने भी घुटने टेक दिए। उनके बाद यहां तबादलों का दौर शुरू हो गया। आईपीएस अधिकारी आरके चतुर्वेदी को लखनऊ की कमान सौंपी गई।
इसके बाद आईपीएस अधिकारी जे रवींद्र गौड़, आईपीएस प्रवीण कुमार, आईपीएस यशस्वी यादव के बाद आईपीएस राजेश कुमार पांडेय को जिम्मेदारी सौंपी गई। चार साल में सात आईपीएस अधिकारी तैनात हुए, लेकिन बिगड़ी कानून-व्यवस्था जस की तस नजर आई। बताया जाता है कि वहां बेखौफ अपराधियों का आतंक बरकरार रहा था। ऐसे में तेज तर्रार मजिल सैनी ने वहां अपनी पोस्टिंग के दौरान अपराधियों एवं उनके सहयोग करने वालों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही कर प्रदेश ही नहीं देश में अपने कार्यो से प्रसिद्वि प्राप्त की थी। उनके उत्कृष्ठ कार्यशैली की हर कोई तारीफ करता था। उनके पास किसी पीड़ित की शिकायत पर कार्यवाही नहीं होने पर वे तुरंत कार्यवाही कर पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए हमेशा तत्पर रहती है।
2013 में यूपी के मुजफ्फरनगर जिले में हुए दंगों पर एक बॉलीवुड फिल्म बनाई गई, जिसका नाम मुजफ्फरनगर 2013 था। इस फिल्म में साउथ इंडियन एक्ट्रेस ऐश्वर्या देवन लीड रोल में नजर आईं। उन्होंने दंगों के समय मुजफ्फरनगर की एसएसपी रहीं मंजिल सैनी का रोल निभाया था। मंजिल सैनी ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगा कंट्रोल करने में अहम रोल निभाया था। शूटिंग भी उसी लोकेशन पर हुई है, जहां दंगे हुए थे। उनकी कार्यशैली के चलते उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में जहां भी उनकी पोस्टिंग रही वहां कानून का राज रहा तथा अपराधियों में खौफ। मंजिल सैनी हमेशा ही बिना दबाव व ईमानदारी से अपने कार्य से सभी वर्गो में प्रसिद्व हो रही है। वर्तमान में आप 49वी वाहिनी पीएससी गौत्तम बुद्ध नगर के सेनानायक पद पर कार्यरत है समाज की होनहार ईमानदार बेटी पर हम सभी को गर्व है जो अपनी ड्यूटी के साथ ही पारिवारिक जिम्मेदारी को भी बखूबी निभा रही है।