सैनिक क्षत्रियकुलों की खांपें

तंवर

तंवर का मूल रूप तोमर है। इनका आदि पुरूष तोमरपाल था। उसका राज्य इन्द्रप्रस्थ, वर्तमान दिल्ली पर था। परम्परा के अनुसार अजयपाल ने इस क्षेत्र पर अपना शासन स्थापित किया था। उसका समय वि.सं. 848 के लगभग है। बाद में दिल्ली के तंवर चैहाना सें के सामन्त बन गये। अजयपाल द्वितीय के समय (वि.सं. 1207) बीसलदेव चौहान ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया। इसके बाद दिल्ली के पक्ष में पहाड़राय तोमर गौरी के विरूद्ध लडा था। दिल्ली से तोमरों का राज्य समाप्त होने पर यह राजस्थान व मध्यप्रदेश में जा कर बस गये। तंवरो के निम्नलिखत नख हैं- हाडी, खण्डेलवाल, तुधवाल, इन्दोरिया व कनवसिया।

टाक

तक्षक का ही विकृत रूप तक्ख, टक्क या टाक हुआ। तक्षक नाग का नाम महाभारत में मिलता है। तक्षक नाग का राज्य खाण्डव वनक्षेत्र में था। पाण्डवों ने जब खाण्डव वन पर अधिकार करलिया , तब उसे परीक्षित को मार डाला। ये नागवंशी क्षत्रिय पहले कच्छ की ओर चले गये। बाद में इनके वंशज नागौर क्षेत्र में आ कर बसे और उन्होंने नागउर (नागौर) बसाया। सातवीं शताब्दी में परमारों ने नागवंश का राज्य समाप्त कर दिया लेकिन कई टाक वहाँ ही बसे रहे। टाकों के निम्नलिखित नख हैं – जुजाला, दगधी, मारोठिया, वणोठिया, पालडिया, नरवरा, बौडाणा और कालू आदि।

चन्देल

‘चन्देल’ शब्द चन्द्र और ऐल शब्दों के योग से बना है जिससे अर्थ होता है चंद्र का वंशज अर्थात् चंद्रवंशी। इसकी पृष्टि परमादिदेव चंदेल के बटेश्वर के शिलालेख से होती है। वि.स. 1243 के रेवाधा क्षेत्र के खुलवाणा गांव के शिलालेख से ज्ञात होता है कि चंदेल शाशिहर वंशी थी। बटेश्वर के शिलालेख से ज्ञात होता है कि विश्व के उत्पत्तिकर्ता पुराण पुरूष से मरीचि, मरीचि से अत्रि और अत्रि से चन्द्रत्रेय हुआ।

चन्द्रात्रेय के वंश में नृप नन्नुक (ई.सनृ 831-847) पैदा हुआ जो चन्देल वंष का प्रथम शासक था चन्देलों ने प्रारम्भ में जिन क्षेत्रों पर अपना शासन स्थापित किया, उन्हें उनके अभिलेखों में ‘जेजाभुक्ति’ कहा गया है। इस क्षेत्र का नाम इस वंश के तीसरे राजा जयशक्ति यया जेज्जा के नाम पर पड़ा जो आगे चलकर बुन्देलखण्ड कहलाया। यह क्षेत्र यमुना नदी के दक्षिण पश्चिमी भाग में बेतवा तथा पूर्व मेंटोस तक तथा दक्षिण में नर्मदा के किनारे कैसूर की पहाड़ियों तक विस्तृत था। जेजाभुक्ति के शासक प्रतिहार साम्राज्य के अधीन सामन्ती राजा थे। चन्देलों का राज्य विद्याधर (1018-1029) तक चला। बाद में महमूद गजनवी के आक्रमणों के कारण यह राज्य शक्तिहीन हो गया। आगे चलकर ई. सन् 1022-1202 में मुहम्मद गौरी के कुतुबुदीन और इल्तुमिश नामक गुलामों नें चन्देलों का राज्य नष्ट कर दिया। उस समय वहाँ का शासक परमर्दिन था। चन्द्रेल तब बिखर गये और अलग-अलग स्थानों पर जा बसे। चन्देलों का मूल निवास मध्यप्रदेश में था। लेकिन ये शेखवाटी क्षेत्र में बारहवीं सदी में चले आये। शेखावटी के रेवासा क्षेत्र में तेहरवी सदी में चन्देलों के शासन का प्रमाण मिलता है। चन्देलों से रेवासा और खोह (रघुनाथगढ़) का रात्य रायमल शेखावत ने वि.सं. 1625 के लगभग छीन लिया था।

अयोध्या के निकट गौड़ क्षेत्र के क्षत्रिय गौड़ कहलाये। मध्यकाल में ये राजस्थान में चले आये। गौड़ अपने को चन्द्रवंशी मानते है। अब ये अजमेर व नागौर जिले में जयादा बसे हैं। इनकी खांपें मारोठिया और अजमेरा आदि है।