भामाशाह – समाजसेवी श्री सुखवाल तंवर

भामाशाह – समाजसेवी श्री सुखवाल तंवर

महात्मा ज्योतिबा फुले विद्यापीठ, चौमू के संस्थापक, उच्च शिक्षा के प्ररणेता, भामाशाह श्री सुवालाल जी का 76 वर्ष की उम्र में एफ. जे. एफ. मल्टिस्पेशियलिटी अस्पताल, चौमू में दिनांक 07-06-2014 को स्वर्गवास हो गया ।

श्री तंवर प्रतिभाशाली समाज सुधारक, शांतिप्रिय, कठोरकर्मी, समाज सेवी थे, जिन्होने महात्मा फुले के आदर्शो को अपनाकर अपना जीवन गरीब लोगों के लिए अल्प शुल्क पर उच्च शिक्षा की व्यवस्था कर क्रान्ति लाने में दिखाया जिनके आकस्मिक निधन से पूरे भारतवर्ष का सैनी समाज एवं अन्य समाजों को गहरा आघात लगा, शिक्षा जगत के एक महान प्ररणेता को खो दिया हैं जो कि अपूर्तनीय हैं इनके निधन पर कृषि मंत्री श्री प्रभुलाल सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत, सांसद श्री सुमेदानंद सरस्वती, विधायक श्री रामलाल शर्मा, पूर्व विधायक श्री भगवान सहाय सैनी, पूर्व विधायक श्री मदन लाल सैनी एवं विभिन्न समाज के पदाधिकारी एवं शिक्षा जगत के शिक्षाविद् ने अपनी गहरी शोक सवेंदना प्रकट की हैं।

श्री सुवालाल जी का जन्म चान्दजी वाली ढाणी, नगरपालिका चौमूं में गरीब परिवार में 76 वर्ष पूर्व हुआ था। चार भाईयों में सबसे छोटे साक्षर एवं शान्तशील व सुडौल शारीरिक बनावट वाले थे। शुरू में पारिवारिक कार्य मुख्यत: कृषि ही रहा। भाईयों से अलग होने पर 1972 में ग्राम बलेखण में इन्होंने जमीन कय कर, बलेखण क्षैत्र में प्रथम बिजली कनैक्शन प्राप्त किया व बलेखण में अन्य काश्तकारों को बिजली सुविधा उपलब्ध करवाई। श्री सुवालाल जी सहकारिता, कृषि जगत में धान, फसल, सब्जी के क्षैत्र में विशेष योगदान से अपनी शुरु से ही पहचान बनाई, कृषि व पशुपालन का कार्य करते हुऐ अपने पुत्र व पुत्रियों को अच्छी शिक्षा दिलाई। श्री तंवर शुरू से ही समाज सुधारक व सामाजिक कुरूतियों के विरोधी, सामाजिक कार्यक्रमों में फिजूल खर्ची के विरोधी व शिक्षा को बढावा देने वाले व अच्छे कार्यो के प्रणेता रहे हैं। महिलाओं द्वारा चोल्या बेचना, घर-घर जाकर सब्जी बेचना, दहेज में नगदी लेना, महिलाओं पर अत्याचार होना, नुकता प्रथा (मृत्यु भोज) को बन्द करवाना, पगडी रस्म में नगदी लेना, मृत्यु होने पर दुशाला डालना, बच्चों के जन्म पर जलवा/मॉडला में पहरावणी लेना व भोज का आयोजन करना इत्यादि कुरूतियों को मिटाने / बन्द करने हेतु स्वयं आगे होकर समाज के अन्य पंच पटेलों के सहयोग से चौमूं व अन्य क्षेत्रों में विशेष प्रयास कर बन्द करवाया जो आज यर्थात हैं ।

अपनी प्रतिभा व महात्मा ज्योतिबा फुले के आदर्शो को आगे बढाते हुऐ महात्मा फुले को सच्ची श्रद्धाजंली देते हुऐ, शिक्षा को बढावा देने हेतु केवल साक्षर होते हुऐ भी महात्मा जी नाम पर – महात्मा ज्योतिबा फुले विद्यापीठ समिति, चौमूं की 1994 में स्थापना की जिसके वे आजन्म अध्यक्ष बने। 1994 मे ही शिक्षा में पिछडे चौमू क्षेत्र में प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की जो 2001 में चौमूं क्षैत्र में निजि क्षैत्र का प्रथम उच्च माध्यमिक स्तर का ( कला, विज्ञान, वाणिज्य संकाय में) विद्यालय बना जो – महात्मा ज्योतिबा फुले विद्यापीठ समिति पर सैकण्डरी स्कूल चौमूं के नाम से संचालित हैं जिसमें अध्ययन कर चुके विद्यार्थियों में सैकडों की संख्या में डॉक्टर, इंजिनियरिंग, सी.ए., शिक्षक, बैंक ऑफिसर, नेवी, सेना व अन्य विभागों में कार्यरत हैं। साथ ही इन्होंने इस क्षैत्र की आवश्यकता व सरकार की मंशा एवं प्रबुद्व नागरिकों की भावनाओं एवं महात्मा जी के आदर्शो को ध्यान में रखते हुऐ – रोजगारमुखी प्रशिक्षण देकर युवक-युवतियों को राष्ट्र सेवा के लिए तैयार करने हेतु 2003 में नर्सिग इन्स्टीट्यूट व एकेडमिक कॉलेज, 2005 में महिला बी.एड. कॉलेज, 2006 में बी. एस. टी. सी. व फिजियोथेरेपी कॉलेज, 2007 में आयुर्वेद नर्सिग व नर्सिग कॉलेज, 2008 में गौरव एजूकेशन बी.एड. कॉलेज, 2009 में वेटेनरी कॉलेज एवं पोस्ट बी. एस. सी. नर्सिग कॉलेज, उदयपुरवाटी व राजगढ में बी. एड. कॉलेज, वर्ष 2012 में मल्टीस्पेशिटी अस्पताल, 2014 में आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज की स्थापना की। इनके द्वारा स्थापित इन संस्थाओं के प्रशिक्षणार्थियों ने विश्वविद्यालय परीक्षाओं में मैरिट स्थान प्रतिवर्ष प्राप्त कर रहे हैं व प्रशिक्षण प्राप्त कर राजस्थान, अन्य प्रदेशों व विदेशों में भी सेवाये दे रहें हैं।

इन्होंने केवल अल्प शुल्क की उच्च शिक्षा ही नही बल्कि गरीबो को स्वास्थ्य सेवा को ध्यान में रखते हुये 100 बिस्तरों वाला एम. जे. एफ. मल्टीस्पेशलटी अस्पताल बनाकर श्री राजकुमार शर्मा, श्री प्रभूलाल सैनी, श्री भगवान सहाय सैनी व साधु सन्तों व विशाल जनसैलाब की उपस्थिति में दिनांक

मनीष गहलोत

मनीष गहलोत

मुख्य सम्पादक, माली सैनी संदेश पत्रिका