सीमा सैनी – समाज की बेटी बनीं मिसाल

सीमा सैनी – समाज की बेटी बनीं मिसाल

अपना चूल्हा जलाया और दूसरों का बुझने से बचाया
बच्चों की मां सीमा सैनी ने 32 महिलाओं को उपलब्ध कराया नियमित रोजगार
बच्चों के लालन पालन के साथ कृषि उत्पादन में निभा रही मजबूत भूमिका

मोदीपुरम। सरकार और गैर सरकारी संगठनों द्वारा चलाए जाने वाले स्वयं सहायता समूह की मिसालें तो खूब मिल जाएगी, लेकिन अपने बूते महिला सशक्तिकरण की ऐसी मिसाल आपको बहुत कम मिलेगी, जिसमें चूल्हा चैका संभाल रही महिला न सिर्फ एक आदर्श कृषि उत्पादक बनी, बल्कि दूसरी महिलाओं को खेती से जोड़कर उनका चूल्हा भी बुझने नहीं दिया। यह कहानी है यह कहानी है तापड़ के महल गांव की सीमा सैनी की जिने आगे नारी सशक्तिकरण की सीमाओं का अपने बूते विस्तार किया। पति नंदकिशोर के साथ ठेके पर जोत की जमीन लेकर सीमा ने 32 महिलाओं को जोड़ा और इनके लिए नियमित रोजगार का अवसर मुहैया कराया। यह महिला घर मं चूल्हा संभालने के साथ खेत में अपने पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है।

पांच बच्चों के पालन पोषण का जिम्मा खुद उठाने वाली सीमा का समय प्रंबधन भी बेहतरीन है। सुबह चूल्हा चैका और उसके बाद ट्रेक्टर लेकर खेत पर निकल, गुढ़ाई और फसल कटाई के बाद उसे कृषि उत्पादन मण्डी समिति या बाजार तक पहुंचाने की जिम्मेदारी वह खुद निभाती है। सभी मामलों में उनसका ज्ञान भी भरपूर है। दरअसल नंदकिशोर 35 बीघा कृषि भूमि पर कृषि करते थे और यह अक्सर खेती के काम में अकेले पड़ जाते थे।

सीमा बताती है कि कई साल पहले उन्होंने अपने पति के साथ खेती में हाथ बंटाने की ठानी। सर्दी के सीजन में चीनी मिलों के पेराई सत्र में वह स्वयं ही गन्ना कटवानें, ढ़ोने औन मयाना गौनी मिल तक सप्लाई की जिम्मेदारी निभाती है। नंदकिशोर बताते है कि तीन सौ बीघा जमीन ठेके पर ली और इस पर भी खेती करने लगे। यह जमीन महल, भगवानपुर और मायाना क्षेत्र में है। सीमा ने अपने साथ जरूरतमंद 32 महिलाओं को जोड़ा और समूह बनाया, जो खेतों पर मजदूरी करती है और इन्हें प्रतिदिन 200 रूपये पारिश्रमिक दिया जाता है। पूर साल खेतों पर कामकाज को सीमा ही लीड करती है। माली सैनी संदेश पत्रिका समाज की होनहार बेटी के द्वारा अपनी सभी जिम्मेदारियों के साथ ही स्वरोजगार के क्षेत्र में महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के किए प्रयासों का हार्दिक अभिनंदन करते हुए उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता है।

बच्चों की शिक्षा पर भी है पूरा फोकस

सीमा सेनी बच्चों की शिक्षा पर भी पूरा ध्यान देती है। घरेलू काम खुद संभालती है और बाहर के काम पति के हवाले है। पांच बच्चों में तीन लड़कियां और दो लड़के है। बड़ी बेटी मानसी बी. कॉम कर रही है, बेटा अश्वनी आठवीं कक्षा में पढ़ रहा है। बेटी मुस्कान कक्षा सात, प्राचची कक्षा पांच और सबसे छोटा बेटा इशांत कक्षा तीन में है। सीमा खुद कक्षा आठ तक पढ़ी है, लेकिन शिक्षा का महत्व जानती है और इसलिए बच्चों को उच्च शिक्षित बनाने पर ध्यान दे रही है। उनके पति नंदकिशोर बी.एस.सी. है।

बेटी को भी सिखाया टैक्टर चलाना

सीमा सैनी ने बताया कि उन्होंने बेटी मानसी को भी टैक्टर चलाना सिखाया है वह भी खाली खेत में जुताई करने लगी है। हांलाकि वह बेकिंग के क्षत्र में जाना चाहती है और इसी उद्देश्य से बी.कॉम. कर रही है।

रविवार को रखते है छुट्टी

नंदकिशोर सैनी और सीमा बताते है कि वे खेतों के कामकाज की संडे का छुट्टी रखते है। यह दिन उन्होंने ग्रुप की महिलाओं को अपने घरों की जरूरी कामों के निस्तारण के लिए छोड़ रखा है और वे खुद अपने बच्चों के बीच में रहते है। अन्य दिनों में पांच बजे उठकर पहले घर का काम और फिर खेती के लिए निकल जाते है।

मनीष गहलोत

मनीष गहलोत

मुख्य सम्पादक, माली सैनी संदेश पत्रिका