समाज गौरव एवं भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य श्री नवदीप सैनी

समाज गौरव एवं भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य श्री नवदीप सैनी

समाज गौरव एवं भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य एवं दुनियां के सबसे तेज गेदबाजों में से एक

जब नवदीप सैनी के कारण उनकी मां को करनी पड़ती थी बैटिंग…

नवदीप सैनी को अपनी गेंदों से मिट्टी के बर्तनों को तोड़ने में आता था मजा। गेंदबाजी प्रैक्टिस के लिए मां को बना देते थे बैट्समैन। साड़ी पहनकर क्रिकेट खेलना मुश्किल है और अगर हाथ में क्रिकेट बैट की जगह बर्तन हों तब तो नामुमकिन है। लेकिन नवदीप सैनी ने इसे संभव किया है। आपको आश्चर्य हो रहा होगा कि नवदीप सैनी का साड़ी पहनकर और हाथ में बर्तन पकड़कर क्रिकेट खेलने से क्या संबंध। तो आपको बता दें कि हम नवदीप सैनी नहीं उनकी मां की बात कर रहे हैं। वेस्ट इंडीज के खिलाफ टी20 डेब्यू करने वाले नवदीप सैनी ने अपनी तेजी से बल्लेबाजों को खूब छकाया। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि नवदीप सैनी ने जब पहली बार गेंदबाजी की थी तो बल्लेबाज के तौर पर उनके सामने उनकी मां थीं।

सैनी के घर में होता था मिट्टी के बर्तनों का ढेर

सैनी की मां को तब तक यही पता था कि बर्तनों का इस्तेमाल सिर्फ किचेन में ही होता है। लेकिन नवदीप सैनी के कारण उनकी मां को बर्तनों का इस्तेमाल बैट के रूप में करने के लिए मजबूर होना पड़ा। नवदीप सैनी हरियाणा के करनाल जिले में स्थित तरौरी कस्बे के एक गांव में जन्में और वहीं पले बढ़े। इस स्थान एक क्रिकेट ट्रेनिंग के लिए कोई आधारभूत ढ़ांचा उपलब्ध नहीं है। यहां के लोग खेती, फैमली बिजनेस और सरकारी नौकरियों पर निर्भर हैं। शायद इसलिए नवदीप सैनी को मजबूरन अपनी मां को ही बल्लेबाज के रूप में खड़ा कर गेंदबाजी करनी पड़ी।

सैनी को उनके पिता से मिला पूरा सहयोग

नवदीप के पिता हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर थे और दिन के अधिकतर समय अपनी ड्यूटी पर रहते। सैनी के बड़े भाई विदेश में सेटल होने के लिए प्रयास करने में व्यस्त थे। नवदीप सैनी का कोई ऐसा साथी नहीं था जिसके साथ वह क्रिकेट खेल सकते थे। जब उनकी मां भी मना कर देती थीं तो सैनी मिट्टी के कुछ बर्तनों को सजाकर विकेट बनाते थे और उसी पर गेंदबाजी का अभ्यास करते। गेंद लगने से मिट्टी के बर्तन टूट जाते थे और उनके टुकड़े यहां वहां बिखर जाते। बर्तन के टुकड़े जीतनी दूर तक बिखरते, सैनी को उतना ही मजा आता। क्योंकि यह इस बात का संकेत होता था कि सैनी तेज गेंदबाजी कर रहे हैं।

मिट्टी के बर्तनों को तोड़ने में आता था मजा

अपने छोटे बेटे का गेंदबाजी के प्रति यह जुनून देखकर सैनी के पिता अमरजीत सैनी ने अपने घर में मिट्टी के बर्तनों का ढ़ेर लगा दिया। अगर सैनी दो तोड़ते तो उनके पिता चार खरीद लाते। बर्तनों की संख्या बढ़ती गई और इसके साथ ही नवदीप सैनी के गेंदों की तेजी भी। दृढ़ निश्चय और गेंदबाजी के प्रति अथाह जुनून ने सैनी के सामने की सारे बाधाएं हटा दीं। गेंदबाजी नवदीप सैनी की लत बन गई। जब सैनी ने वेस्ट इंडीज के खिलाफ पहले टी20 मैच में शिमरोन हेटमायर का विकेट उखाड़ा तो उनकी आखों में वही पुरानी चमक दिखाई दी जो चमक मिट्टी के बर्तनों को गेंद मारकर फोड़ने के बाद दिखाई देती थी।

मनीष गहलोत

मनीष गहलोत

मुख्य सम्पादक, माली सैनी संदेश पत्रिका