जिले की 1500 हैक्टेयर भूमि में जैविक खेती से दोगुनी हुई आय

250 किसान बेच रहे उत्पाद, सप्ताह में तीन दिन होम डिलीवरी भी

बूंदी – जिले में पिछले तीन वर्षों में ऑर्गेनिक ( जैविक ) खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है। जिले के नैनवां, हिंडौली…जिले में पिछले तीन वर्षों में ऑर्गेनिक ( जैविक ) खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है। जिले के नैनवां, हिंडौली क्षेत्र में करीब 1500 हैक्टेयर में किसान जैविक खेती कर अपनी आय को दुगुना कर रहे हैं। ऑर्गेनिक सब्जियों, दालों, अनाज में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व और बिना पेस्टीसाइड के उत्पादन मिलने से लोग ऑर्गेनिक उत्पाद महंगे होने के बावजूद पसंद कर रहे हैं। अभी ऑर्गेनिक उत्पादन का बाजार नहीं होने से 250 किसान एक समूह बनाकर अपना उत्पादन बेच रहे हैं। समूह ने जैविक उत्पादन को बेचने के लिए सप्ताह में तीन दिन होम डिलीवरी सर्विस देना शुरू किया है। कोटा, बूंदी में किसानों को इसको अच्छा रिस्पांस मिल रहा है।

जिले में वर्तमान में करीब 1 लाख 70 हजार हैक्टेयर में किसान पारंपरिक खेती कर रहे हैं, जिसमें से 1500 हैक्टेयर में ऑर्गेनिक खेती की जा रही है। पिछले तीन साल से कृषि क्षेत्र में रासायनिक खाद के बढ़ते प्रयोग से होने वाले नुकसान को देखते हुए जीरो बजट खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ा है। जिले के किसान खेती में नवाचार कर अपनी आय बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। ऑर्गेनिक खेती से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली ग्रीन हाउस गैसों को रोकने में मदद मिलती है।

कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी, वैज्ञानिक डॉ. हरीश वर्मा ने बताया कि हरित क्रांति के बाद उत्पन्न हुई परिस्थितियों के कारण किसानों ने परंपरागत विधि छोड़ कर नई दिशा में कदम बढ़ाने से इसका परिणाम अब पर्यावरण प्रदूषण के रूप में दिख रहा है। कभी सेलिनाइजेशन व यांत्रिकरण के नाम पर उपजाऊ शक्ति बढ़ाने वाली विद्या आज उर्वराशक्ति को घटा रही है। मिट्टी की उपजाऊ क्षमता और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए जैविक खेती सबसे कारगर तरीका है। इस विधि से खेती करने पर जहां जैव विविधता में वृद्धि होती है, वहीं उत्पाद की गुणवत्ता भी अच्छी होती है।

ऐसे हुई जैविक खेती की शुरुआत: किसान चैथमल सैनी ने बताया कि 7 साल पहले वह जयपुर के घराना गांव गए, वहां जैविक खेती देखी वहां से प्रेरणा मिली। इसके बाद कोटा किसान मेले में कृषि वैज्ञानिकों से जानकारी लेकर सब्जियों, दालों का उत्पादन शुरू किया। जिंसों की मेचिंग चैन नहीं बनने से परेशानी होती थी, जिसके बाद ज्योतिबा फूले जैविक कार्य की कंपनी बनाई और किसानों को इससे जोड़ा। जिससे सब्जियों, जिंसों की वैरायटी तैयार हुई और बाजार तैयार किया। वर्तमान में कोटा में दो फार्म व तीन ब्रांच में माल बेचा जा रहा है। जैविक खेती में शुरुआती दो साल तक तो उत्पादन सामान्य ही रहता है। इसके बाद उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है। गेहूं जहां सामान्य खेती 2000 रुपए प्रति क्विंटल बिकता है, वहीं जैविक गेहूं 3000 से 3500 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक जाता है।

फायदा यह…पौष्टिकता के साथ सब्जियों में बढ़ा स्वाद, कोटा और बूंदी में अच्छा रिस्पांस:

सिलोर निवासी किसान जितेंद्र सैनी ने बताया कि वह तीन साल से जैविक खेती कर सब्जियां उगाकर बाजार में बेच रहे हैं। ऑर्गेनिक सब्जियों का बाजार नहीं होने से घरेलू बाजार में इनको बेचा जा रहा है। रासायनिक उर्वरकों की बजाए इन सब्जियों में स्वाद और पौष्टिकता के साथ ही पेस्टीसाइड नहीं होने से लोग ज्यादा पसंद करते हैं। मिट्टी में तत्वों की आपूर्ति के लिए गोबर से तैयार किए गए जैविक खाद, बायोगैस स्लरी, नाडेप कम्पोस्ट, फास्फो कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, नीलहरित शैवाल, एजोला का प्रयोग करते हैं। बीजोपचार में भी जैविक औषधियों का प्रयोग करते हैं। पेस्टीसाइड की जगह नीम के उत्पाद का उपयोग कीड़ों के नियंत्रण में करते हैं। परजीवी, परभक्षी, सूक्ष्म जीवों का उपयोग कीटव्याधि नियंत्रण के लिए करते हैं। नीम, करंज की पत्तियां, नीम के तेल, निंबोली का उपयोग पौधों के बचाव में किया जाता है, जिससे गेहूं, सब्जियों की पौष्टिकता के साथ स्वाद बढ़ता है और यह स्वास्थ्य को नुकसान भी नहीं पहुंचाता है। उन्होंने बताया कि राजफेड तैयार कर रहा ऑर्गेनिक उत्पादन बेचने के लिए एक एप भी तैयार कर रहा है।

मेटाडोर से होम डिलीवरी :

ऑर्गेनिक खेती कर रहे किसान चैथमल सैनी ने बताया कि ऑर्गेनिक खेती के उत्पाद का बाजार नहीं होने से इसको बेचना मुश्किल हो रहा था। इस ग्रुप में उपभोक्ता अपनी जरूरत की सब्जियों, अनाज, दालों की मात्रा की सूची और पता डॉल देता है। ग्रुप में जुड़े ऑर्गेनिक खेती कर रहे किसान अपने माल की होम डिलीवरी कर देते हैं। करीब छह माह से सप्ताह में दो दिन शनिवार, रविवार को होम डिलीवरी कर रहे हैं। अब लोगों की डिमांड पर इसको बढ़ाकर तीन दिन किया है। अब बुधवार, शनिवार और रविवार को होम डिलीवरी दी जा रही है। अभी सब्जियों में फूल गोभी, टमाटर, बैंगन, गेहूं व दालों की सप्लाई दी जा रही है। इसके लिए एक-एक मेटाडोर तैयार की है, जिससे होम डिलीवरी की जाती है।

मनीष गहलोत

मनीष गहलोत

मुख्य सम्पादक, माली सैनी संदेश पत्रिका