11 मई मे 1888 को महात्मा ज्योति राव फुले को मिली थी महात्मा की उपाधि

‘सामाजिक, शैक्षणिक क्रांति के जनक महात्मा जोतीराव फुले’

11 मई जनमानस के जोतीराव फुले महात्मा जब याद करते हैं महात्मा की, तो प्रथम महात्मा बुद्ध जो 2500 ई. पूर्व थे। दूसरे महात्मा जोतीराव फुले और तीसरे महात्मा गांधी ही है।

प्रथम मजदूर नेता रावसाहेब नारायण मेघाजी लोखंडे और साथियों ने 11 मई 1888 को मुंबई के कोलीवाडॉ में एक भव्य समारोह आयोजित किया। जिसमें हजारों समाजसेवी श्रमिकगण, महिलाएं, जननेताओं ने भाग लिया। समारोह के मुख्य अतिथि राव बहादुर विठ्ठलराव कृष्णा जी वन्डेकर जो मुंबई महान समाज सुधारक थे।

श्री लोखंडे जी ने इस समारोह में बताया कि हमारे बीच आज श्री जोतिराव गोविंदराव फुले आमंत्रित है। उन्होंने भारतवर्ष में ट्रेड यूनियन बनाने का संकल्प लिया, वह मुझे श्रमिकों को संगठित करने का काम सौंपा जिसे मैंने पूरा किया। फुले सामाजिक परिवर्तन के पथदर्शक है महान विचारक है, समतामय समाज रचना के लिए जातियां समाप्त कर वर्ण व्यवस्था से मानव समाज को मुक्त कराना, निशुल्क रोजगार मूलक सभी के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के द्वारा खोले हैं। पहली बार बालिका शिक्षा सावित्रीबाई फुले को शिक्षित कर संचालित कर रहे हैं। समाज में व्याप्त छुआछूत, अंधविश्वास, धार्मिक अत्याचार समाप्त करने हेतु प्रयासरत है। लाइब्रेरी प्रारंभ की है, बाल विवाह विरोधी है, विधवा विवाह प्रारंभ किया है, बिचैलिया विहिन विवाह कराने हेतु हाईकोर्ट से मान्यता मिली है।

सत्यशोधक समाज की स्थापना कर समाज में जागृति ला रहे हैं। समाज को मानवीय जीवन जीने के लिए साहित्य रचना कर रहे हैं। हम इन्हें महात्मा की पदवी प्रदान करते हैं।’ भारी हर्ष एवं तालियाँ जनमानस ने बजाई। मुख्य अतिथि वन्डेकर साहेब ने ‘महात्मा जोतीराव फुले’ को पदवी प्रदान की।

इस प्रकार फुले पहले महात्मा जनता द्वारा बने।

‘आइए हम महात्मा फुले के आदर्श अपनाए।’

मनीष गहलोत

मनीष गहलोत

मुख्य सम्पादक, माली सैनी संदेश पत्रिका