श्री सुमेर सीनियर हायर सैकण्डरी स्कूल, जोधपुर

श्री सुमेर सीनियर हायर सैकण्डरी स्कूल, जोधपुर

राजस्थान में स्वजाति का प्रथम विद्यालय

वि.संत्र 1954 (वर्ष 1898) के वैशाख माह में समाज के लोगों का एक सम्मेलन मगराज जी का टांका मण्डोर रोड़ पर बुला कर यह निर्णय लिया गया कि न्याति के बच्चों की शिक्षा के लिये एक पाठशाला खोली जावें। इस सभा में मुख्य चन्दा देने वालों में ठे. साहिब रामजी गहलोत, चैनपुरा, ठे. पोकरजी बनजी कच्छवाहा, ठे. मघजी, धुलजी कच्दवाहा, मण्डोर व दरोगा फरास खाना, पुरखा जी पृथ्वीराज जी साँखला थे। अन्य चन्दा देने वालों में मुख्य श्री रहींगजी टाक, श्री रतना जी साँखला, श्री जगाजी चैधरी, श्री सूरजमल जी कच्छवाहा, श्री दयाराम जी गहलोत, श्री सेवाजी सोलंकी, श्री लच्छीराम जी गहलोत, श्री छोगा जी परिहार आदि थे।

उसी वर्ष में विद्यालय के लिए भूमि, महामन्दिर के बाहर नागौरी दरवाजे के रास्ते, दाई ओर खरीद ली गई और वहाँ तीन कमरों का स्कूल भवन 1898 में तैयार हो गया। इस स्कूलभवन का उद्घाटन 29.08.1898 को महाराज कुमार सुमेरसिंह जी जो मात्र 8 मास के थे द्वारा स्कूल भवन के ताले के हाथ लगा कर किया गया। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता आर्य समाज के स्वामी भास्करानन्द सरस्वती ने की। सरकार की ओर से 1500 रूपये का अनुदान किया गया तथा समाज की ओर से 8 हजार रूपये प्राप्त हुए। समारोह में जोधपुर की तीनों बस्ती व आठों खेड़ों के जाति बन्धु उपस्थित हुए।

स्कूल का नाम श्री सुमेर स्कूल रखा गया। इस स्कूल में प्रारम्भ से 1912 तक चैथी कक्षा तक पढ़ाई होती रही जिसमें केवल 50 छात्र थे, प्रथम प्रधानाचार्य श्री पूसाराम जी थे। सन् 1913 में यह मिडल सकूल में क्रमोन्नत हो गई तथा सन् 1945 में हाई स्कूल तथा 1963 में हायर सैकण्डरी तथा 1988 में सीनियर हायर सैकण्डरी के रूप में क्रमोन्नत हुआ है। श्री पुरखाराम जी साँखला 1898 से 1915 तक तथा श्री नेनूराम सांखला 1916 से 1933 तक व्यवस्थापक रहे। 1934 से 1943 तक श्री मंगलसिंह कच्छवाहा, सन् 1944 से 1947 तक श्री डॉ. ओमदत्त भाटी, 1947 से 1953 तक श्री राम नारायण साँखला, सन् 1953 से 1962 तक आनन्द सिंह कच्छवाहा, 1962 से 1966 तक डॉ. ओमदत्त भाटी, 1967 से 1971 तक बलवीर सिंह कच्छवाहा, 1972 से 1974 तक श्री श्रीकिशनजी टाक, 1974 सें 1982 तक श्री ब्रह्मसिंह परिहार, सन् 1983 से 1985 तक श्री देवीसिंह कच्छवाहा, सन् 1986 से 1988 तक श्री किशोरसिंह कच्छवाहा, सन् 1989 से 1991 तक श्री देवीसिंह कच्छवाहा, सन् 1992 से 1994 तक श्री शिवसिंह परिहार, सन् 1995 से 1997 तक श्री गुलाबसिंह कच्छवाहा, सन् 1998 से 2000 तक श्री छैलसिंह गहलोत, सन् 2001 से 2003 तक डॉ. चिमनसिंह परिहार तथा सन् 2004 से आज तक श्री नरेन्द्रसिंह कच्छवाहा व्यवस्थापक रहे।

इस संस्थान के निम्न अध्यक्ष रहे :

  • श्री प्रतापसिंह कच्छवाहा : 1898-1958
  • डॉ. ओमदत्त भाटी : 1958-1962
  • श्री शिवरामसिंह गहलोत : 1962-1966
  • श्री मांगीलाल जी गहलोत : 1967-1971
  • श्री संतोषसिंह गहलोत : 1972-1974
  • श्री कनीराम टाक : 1974-1982
  • श्री काशीराम गहलोत : 1983-1985
  • श्री गोपीकिशन पंवार : 1986-1988
  • श्री प्रेमसिंह परिहार : 1989-1991
  • श्री गोपीकिशन पंवार : 1992-1997
  • श्री मानसिंह देवड़ा : 1998-2000 और 2001-2003 तथा 2004 तक।
मनीष गहलोत

मनीष गहलोत

मुख्य सम्पादक, माली सैनी संदेश पत्रिका