किसान श्री चैथमल सैनी – जैविक खेती

किसान श्री चैथमल सैनी – जैविक खेती

बूंदी। रसायनिक उर्वरकों के ज्यादा प्रयोग करने से बंजर होती भूमि को बचाने के लिए नैनवा के आतंरदा किसान चौथमल सैनी ने उठाया बीड़ा और ज्योतिबा फूले जैविक कार्य नामक कंपनी बनाकर जैविक खेती की शुरुआत की।

शुरुआत में किसानों को जोड़ने में परेशानी आई लेकिन जैविक खेती का फायदा और आए दुगनी होने से किसान जुड़ते गए अब 250 किसान जैविक खेती कर टमाटर, मिर्च, गोभी, भिंडी, कद्दू, लौकी, टिंडा, सब्जियां उगा रहे हैं। फल में अमरूद, नींबू, पपीता, चना, मक्के की खेती कर रहे हैं इसके अलावा कुछ किसान गुलाब का बगीचा लगाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं जैविक खेती की तैयार इन सब्जियों और जिंसों की लागत कम आती है वहीं पैदावार अधिक होने से दाम दुगना मिल रहा है।

किसान चैथमल सैनी ने बताया कि उनकी कंपनी से 250 किसान जुड़े हैं इन किसानों की उपज को खरीद कर कोटा, सवाई माधोपुर, जोधपुर, दिल्ली की मंडियों में बेचा जाता है जिससे किसानों को अच्छे दाम मिल रहे हैं किसान अधिक उपज के लिए अंधाधुन रसायनिक खाद और दवाइयों का प्रयोग कर रहे हैं जिससे सब्जियां जिसें बे-स्वाद जहरीली होती जा रही है कृषि भूमि भी अत्यधिक रसायनिक खाद के प्रयोग से खराब हो रही है जैविक खेती में देसी गोबर की खाद, जैविक खाद, कीटनाशकों मूत्र, नीम उत्पादन, करंज, छाछ, ढ़ाक सहज मिल जाते हैं जिनकी लागत भी कम होती है किसान सैनी ने बताया कि 7 साल पहले जयपुर के घराना गांव में जैविक खेती देखकर उन्हें प्रेरणा मिली कोटा किसान मेले में कृषि विज्ञानिकों से जानकारी लेकर सब्जियों दालों की पैदावार शुरू की ऑर्गेनिक उत्पादों को बेचने के लिए बाजार नहीं होने से परेशानी भी आई। जिसों की मैचिंग चेन नहीं बनने से भी परेशानी होती थी। जिसके बाद कंपनी बनाकर किसानों को जोड़ा जिसे सब्जियों जिंसों की वैरायटी तैयार हुई और बाजार तैयार हुआ कोटा में दो फार्म और तीन ब्रांच में 250 किसानों द्वारा माल बेचा जा रहा है सामान्य खेती का गेहूं जहां ₹ 1700 प्रति क्विंटल बिकता है वही जैविक गेहूं ₹2500 से ₹3000 प्रति क्विंटल तक बिक जाता है।

चौथमल ने बताया कि जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार उत्पादकों का कलस्टर बनाकर उन्हें ₹7000 अनुदान देती है लेकिन किसान जुड़ते नहीं है यदि सरकार रोजगार गारंटी कार्यक्रम में जुड़े श्रमिकों को जैविक खेती करने वाले किसानों के साथ जोड़ दें तो उन्हें मजदूरी मिलेगी और किसानों की खेती करने आसानी हो जाएगी।

मनीष गहलोत

मनीष गहलोत

मुख्य सम्पादक, माली सैनी संदेश पत्रिका