श्रीरामजी महाजन : पिछड़ा एवं माली समाज के कर्मयोगी

श्रीरामजी महाजन : पिछड़ा एवं माली समाज के कर्मयोगी

शाजापुर | श्री रामजी महाजन का जन्म मध्यप्रदेश के बैतुल जिले के ग्राम प्रभात पट्टन के माली जाति के सामान्य परिवार में दिनांक 14 सितंबर1931 को हुआ था । इनका विवाह 16 वर्ष की आयु में जयवंति बाई से हो गया था । इन्होंने वर्ष 1953 में इंटर की परीक्षा पास करने के बाद महात्मा ज्योतिबा फूले के विचारों एवं आदर्शों को अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर सार्वजनिक क्षेत्र में प्रवेश किया। स्वतंत्रता के बाद देश में अनेक समूहों में बिखरे स्वजातिय भाईयों को एक मंच पर लाने के उद्देश्य से उन्होंने वर्ष 1955 में जिला बैतूल के ग्राम अमरावती घाट में प्रथम माली सम्मेलन का आयोजन का समाज बंधुओं ने चेतना एवं जाग्रति का बीजारोपण किया। इस सफल सम्मेलन के बाद ही वर्ष 1956 में जिला बैतूल के ही ग्राम मांडली में द्वितीय माली सम्मेलन का सफल आयोजन किया।

सामाजिक सक्रियता व लोगों के दुःख दर्द में सदा सहभागी रहने वाले श्री रामजी महाजन वर्ष 1957 में प्रथम बार अपने पैतृक गांव प्रभात पट्टन में पंच के पद पर चुने गए। यही उनके राजनीति में प्रवेश की पहली जीत थी। वर्ष 1958 में अपने गृह गांव प्रभात पटटन द्धबैतूलद्ध में तीसरी बार अखिल भारतीय माली सममेलन का सफल आयोजन किया । इस सम्मेलन में मध्यप्रदेश के अतिरिक्त उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, बिहार एवं आन्ध्रप्रदेश आदि राज्यों के स्वजातिय बंधुओं ने भाग लिया था । इस सम्मेलन की सफलता एवं जनसमर्थन से उत्साहित होकर श्रीरामजी महाजन ने प्रदेश एवं देश का सघन भ्रमण एवं जनसम्पर्क प्रारंभ किया। जिससे आपको समाज में वयाप्त कुरूतियों, कुप्रथाओं एवं समाज बंधुओं के रहन-सहन एवं विचारों की जानकारियां प्राप्त हुई। श्री रामजी महाजन ने यह अनुभव किया कि शासन प्रशासन में समाज के सभी वर्गों की समुचित भागीदारी न होने से सामाजिक असंतुलन की स्थिति बनी हुई थी। देश के प्रमुख सामाजिक बंधुओं से चर्चा में आपने यह पाया कि बहुसंख्यक समाज के पिछड़ेपन का मुख्य कारण उनका विभिन्न समूहों में बंटा होना है।

श्रीरामजी महाजन ने देश के मुम्बई, पुणे, नागपुर, हैदराबाद, दिल्ली, मेरठ, सहारनपुर, गाजियाबाद, जयपुर एवं मध्यप्रदेश के इन्दौर, भोपाल, सतना, ग्वालियर, जबलपुर आदि नगरों के परिचित साथियों के माध्यम से स्वजातिय भाईयों के सम्मेलन के आयोजन की श्रृंखला प्रारंभ कर अलग अलग समूहों में विभाजित समाजों को एक मंच पर आने के लिए प्रेरित किया एवं समाज की कुरूतियां दूर करने का प्रयास किया। समाज में व्याप्त हो रही जागरूकता एवं प्राप्त हो रहे सामाजिक समर्थन के परिणाम के फलस्वरूप श्रीरामजी महाजन ने अपने साथियों के साी 18 अगस्त 1970 में मध्यप्रदेश क्षत्रियमाली समाज पंजीकृत कर गठन किया तथा इस संस्था के आजीवन अध्यक्ष रहे। वर्ष 1970 में श्रीरामजी हाजन अपने गृह ग्राम प्रभातपट्टन में तीसरी बार पंच, फिर उपसरपंच तथा जनपद पंचायत प्रभात पट्टन के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। फिर वर्ष 1972 में प्रचण्ड बहुमत से प्रथम बार विधानसभा के लिए चुने गए । सामाजिक एकता के प्रयास को आगे बढ़ाते हुए दिसम्बर 1974 को भोपाल में माली समाज का अखिल भारतीय अधिवेशन आयोजित किया ।

श्रीरामजी महाजन अपनी परिश्रमी एवं सौभ्य छवि के कारण वर्ष 1977 में दोबार विधायक निर्वाचित हुए। क्षैत्रिय विकास करने, ईमानदार व परिश्रमी होने के कारण श्री महाजन वर्ष 1980 में पुनः तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए । तब तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. श्री अर्जुनसिंह ने आपको पिछडे वर्गों की पहचान करने व पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए कल्याणकारी योजनाओं की सिफारिश करने के लिए मंत्री दर्जे के साथ पिछडॉ वर्ग आयोग के अध्यक्ष की चुनौतीपूर्ण जवाबदारी सौपी। श्रीरामजी महाजन ने इस चुनौती को स्वीकारते हुए बस्तर से लेकर झाबुआ, सरगुजा से लेकर मंदसौर तक सम्पूर्ण पिछड़ी जातियों को चिन्हित किया। लगभग तीस वर्षों के अथक प्रयास से दिसम्बर 1983 को पिछडॉ वर्ग आयोग महाजन आयोग का ऐतिहासिक अंतिम प्रतिवदेन मुख्यमंत्री को सौंपा। जिसमें पिछड़े वर्गों की संवैधानिक स्थिति को स्पष्ट करते हुए अन्य राज्यों में पिछडे वर्गों को मिलने वाली सुविधाओं के तथ्यात्मक एवं विस्तृत विवरण के साथ मध्यप्रदेश में पिछड़े वर्ग के सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक विकास हेतु 52 अनुशंसाओं का समावेश था। इस प्रतिवेदन के आधार पर मध्यप्रदेश की 87 जातियों का शालेंय छात्रवृति, नौकरी में आरक्षण, पंचायत एवं सहकारी चुनावों में भागीदारी आदि के लाभ के मार्ग प्रशस्त हुए। श्रीरामजी महाजन 1985 में विधानसभा के लिए चौथी बार निर्वाचित होकर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के राज्यमंत्री / स्वतंत्र प्रभार बने। वर्ष 1989 में जेल, धार्मिक, न्यास एवं धर्मस्व विभाग के मंत्री बने । नवम्बर 1993 में विधानसभा के हुए और जेल, लिए पांचवी बार निर्वाचित श्रम पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के कैबिनेट मंत्री बने। इसी दौरान श्रीरामजी महाजन को मध्यप्रदेश विधानसभा के वरिष्ठतम विधायक की श्रेणी में आने पर विधान श्री की उपाधि से अलंकृत किया गया ।

श्रीरामजी महाजन ने प्राथमिक शाला ग्राम गोधनी के लिए वर्ष 1986 एवं वर्ष 1993 में अपनी भूमि दान में दी, एवं जवाहर नवोदय विद्यालय प्रभातपट्टन के लिए 20 एकड़ की भूमि दान में देकर अनुकरणीय उदाहरण पेश किया।

श्रीरामजी महाजन की राजनैतिक एवं सामाजिक यात्रा ग्राम पंचायत के पंच से प्रारंभ होकर 23 वर्षों तक विधायक. मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष एवं 7 वर्षो तक शासन के अनेक विभागों में मंत्री रहने के बाद 14 अगस्त 1999 को देवलोकगमन के साथ समाप्त हुई । श्रीरामजी महाजन द्वारा समाज के पिछड़े वर्गों के लिए किये गए कार्य एवं आदर्शो के लिए युगो – युगो तक याद किये जाते रहेंगे।

मनीष गहलोत

मनीष गहलोत

मुख्य सम्पादक, माली सैनी संदेश पत्रिका