श्री नारायणलाल सैनी

श्री नारायणलाल सैनी

कुछ तो बस आते जाते है, कुछ जाकर भी रह जाते है

इस संसार में यदा-कदा ऐसे कर्मधन्य ज्योति पुंज पुरूष जन्म लेते है जिनकी प्रेरणा और प्रतिबद्ध ता सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय होती है। जिनका संकल्पित साहस अदम्य होता है। जो अपनी कर्मठता से औरों को भी ऊर्जान्वित एवं उत्प्रेरित करते है। जो देश्वीयमान सूर्य बनकर औरो का पथ आलोकित करते है तथा शाश्वत प्रेरणा पुँज बने रहते है। अपने सद कार्यो की सुगन्धी छोड़कर ईश्वर के सन्निकट जा बिराजते हैं। ऐसे ही चौधरी नारायण लाल सैनी की अमिट छवि लोगो के दिलों में अमिट जीवन्त है एवं उनके आदर्शो जीवन की चर्चाएं अभी भी बुजुर्ग करते है ।

पिता श्री धूरेराम के घर सन् 1860 मे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई । जिसका नाम नारायण लाल सैनी रखा गया। बचपन से आप बड़े ही होनहार थे वे साक्षर भी थे । आपका बचपन से ही त्याग एवं बगीची बाजी का शौंक था । युवावस्था में आते-आते आपके शील स्वभाव कार्य कुशलता एवं बहादुरी के चर्चे चारो और समाज में फैलने लगे । बस कुछ कर गुजरने की जज्बा मन में चलता रहा । किसी ने ठीक ही कहा है-

अगर उच्च पद चाहता है जगत में मिटा दे है भाई तू अस्तित्व अपना।
कि जो बीत मिट्टी में मिला जाएगा, बस वही फूलता और फलता रहेगा॥

इन्हे अपनी जीवनसाथिनी चनदादेवी जी का भी पूरा साथ मिला। उसी समय भरतपुर रियासत के महाराज श्री किशनसिंह ने आपके बहादुरी के चर्चे से प्रभावित होकर आपको राजकीय बगीचों एवं पार्को का लेबर इन्चॉर्ज बना दिया ।

आपकी स्वामी भक्ति एवं कार्यकुशलता को देखते हुए महाराजा किशन सिंह ने 90 बीघा जमीन पुरूस्कार स्वरूप आपको भेंट की । परन्तु ये लाइनें इनके जीवन में सअक्षर झलकती थी ।

तन से सेवा कीजिए मन से भले विचार।
धन से इस संसार में करिए पर उपकार॥

दीन दुखियों को अपने दान में मिली जमीन में से 45 बीघा जमीन आपने जीवन की गाड़ी चलाने को दान दे दी।

भरतपुर रियासत में महारजा जसवन्त सिंह के समय पर एक बड़ा मेला लगता था, जिसको जसवन्त प्रदर्शनी के नाम से जाना जाता था। प्रतिवर्ष महाराजा मेला स्थल पर आकर के झण्डा फहराया करते थे और प्रदर्शनी का शुभारम्भ करते थे। सन् 1964 में महाराजा बिजेन्द्र सिंह ने अपने राज्य के सबसे वयोवृद्ध व्यक्ति से झण्डा फहरवाने की बात सोची । सम्पूर्ण रियासत में मुनादी कर दी गई जो सबसे ज्यादा आयु का पुरूष होगा उसे प्रदर्शनी का झण्डा फहराने का सुअवसर दिया

जाएगा। बस अब सबसे बुजुर्ग की रियासत में खोजबीन होने लगी। एक बूढी माँ 101 वर्ष आयु की सबसे बुजुर्ग महिला मिली फिर भी वयोवृद्ध की तलाश होती रही और महाराज के कर्मचारियों ने कहा कि महाराज आपके गार्डनर सुपरवाईजर चौधरी नारायण लाल सैनी 104 वर्ष के वयोवृद्ध है। बस इतना सुनता था महाराज ने तुरन्त कर्मचारियों को आदेश दिया कि तुरन्त नारायण जी को ससम्मान उनके सम्मुख उपस्थित किया जाए। राज कर्मचारी रॉयल गाड़ी लेकर तुरन्त चौधरी साहब के निवास पर पहुँचे और चौधरी साहब से कहा कि आपको महाराज ने याद किया है। महाराज का नाम सुनते ही चौधरी साहब बहुत ही घबरा गए और कहा कि भाई मुझसे क्या भूल हो गई अब तो मै राजकर्मचारी भी नही हूँ फिर महाराज साहब ने मुझे क्यों बुलाया है। डरते-डरते आप राजमहल पहुँचे । महाराज ने राज्य के सबसे वयोवृद्ध का बड़ी गर्मजोशी से स्वागत कर ससम्मान सोफे पर बिठाया । और जब राजा ने उम्र की जानकारी ली तो चौधरी साहब ने आपको रोहण करने को कहा । महाराजा साहब ने तुरन्त मोची एवं दर्जी को बुलाकर आपके जूतों एवं कपड़ो का नाप दिया। जसवन्त प्रदर्शनी क उद्घाटन के दिन राज्य की ओर से भेंट जूते, शेरवानी, चूड़ीदार पाजामी पहनाकर रॉयल गाड़ी से आपके कार्यक्रम स्थल पर लाया गया। भरतपुर के इतिहास में पहली बार किसी सैनी जाति के वयोवृद्ध द्वारा विशाल जन समूह के समक्ष झण्डा फहराकर मेले का उद्घाटन किया गया। यह सैनी समाज एवं भरपूर के इतिहास में स्वर्ण अक्षरो से लिखा हुआ है। महाराजा साहब ने उपहार स्वरूप तलवार (खडग) भेंट कर आपका स्वागत किया । निम्न पंक्तियों को आपके जीवन में समावेश था- उत्थान पतन जीना मरना सब विधि विधा कहलाते है। हम भोग योगनपे को जग में कुछ समय यहां पर आते है ॥ जीना तो उसका जीना है जो औरो का हित कर जाते है ॥ नारायण के लाल बनकर बस याद सभी को आते हैं ।

आपका स्वभाव शील और हदय में करूणा का सागर हिलोरे लेता था । इस कारण आप सबके अत्यंत प्रिय थे। आजीवन ग्राम पक्का बाग सैनी समाज के

मुखिया के पद पर रहे सभी समाज बन्धु आपके आदेशों एवं फैसलों का आदर व विशेष सम्मान करते थे।

एक रोमांचित घटना आप एक दिन दिन में अपने कार्य से अपने फार्म पर लेटे हुए थे पास में ही जंगल था तभी अचानक एक शेर निकल कर आपकी चारपाई के निकट आकर बैठे गया । थोड़ी देर बैठने के बाद वह स्वंय ही उठक चला गया । आपने ईश्वर का दिल से धन्यवाद किया।

आज भी आपके चर्चे व ख्याति भरतपुर सैनी समाज में बुजुर्ग लोग अपनी नई पीढ़ी का सुनाते हैं आपका जीवन सभी के लिए प्रेरणादायी रहा, आपके सुपुत्र माखन लाल भजनलाल पटेल गोपी व सुपुत्रियों नथिया एवं कमली भी आपके पद – चिन्तों पर चले व समाज को नई आजीवन दिशा दी। सन् 1967 में एक दिन 107 वर्ष की आयु मे आप इस नश्वर शरीर को त्याग कर प्रभु की सत्ता में विलीन हो गए ।

मनीष गहलोत

मनीष गहलोत

मुख्य सम्पादक, माली सैनी संदेश पत्रिका