डॉ. हुकम सिंह गहलोत

माली समाज के होनहार वैज्ञानिक एवं विज्ञान के प्रोफेसर

डॉ. हुकम सिंह गहलोत का जन्म एक साधारण परिवार में 26 जनवरी 1962 को श्री प्रेमसिंह गहलोत निवासी हलाव का बेरा, मन्डोर के यहां हुआ था । गहलोत हाई स्कूल से लेकर एम. एस. सी तक प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। उन्होंने जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से एम. एस. सी वनस्पति शास्त्र में की है। इसके पश्चात प्रो.गहलोत ने वनस्पति शास्त्र विभाग में ही पी. एच. डी. के लिए विश्व विख्यात पादप कार्यिकी फिजियोलॉजी/ बायोटेक्नालॉजी में प्रो. एन.एस. साँखला के नेतृत्व में पादपों पर अनुसंधान कार्य प्रारम्भ किया । सन् 1988 में उनका चयन सरकारी कॉलेज में सहायक लेक्चरर के पद पर हुआ राजकीय महाविद्यालय बारां एवं भीनमाल में अध्यापन कार्य करते हुवे इनका चयन जे.एन.वी.यू में 1991 को सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया गया। सन् 2001 में रीडर पद एवं 2006 में प्रोफेसर पद पर प्रोमोशन हुआ । प्रो. गहलोत हाल ही अक्टूबर 2012 में विभागाध्यक्ष बने है। उनको 23 वर्षों का पढ़ाने का एवं 24 वर्षो का अनुसंधान करने का अनुभव है। डॉ. गहलोत पिछले सात वर्षो से नाईट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले जीवाणुओं पर शोध कर रहे है। आपको भरत सरकार के जैव प्रौधोगिकी विभाग (डी.बी.टी) द्वारा एक महत्वपूर्ण वृहृद शोध परियोजना (40 लाख रूपये) भी स्वीकृत हुई है। यह परियोजना बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय एवं जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के सहयोग से चल रही है। डॉ. गहलोत कृषि के लिए महत्वपूर्ण नवीन जीवाणुओं की खोज, आणविक अभिनिर्घारिण एवं पी. जी. पी. लक्षणों पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर का अनुसंधान पिछलें कई वर्षो से कर रहे है। अपने शोध को विभिन्न उत्कृष्ट पुस्तकों एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं / जर्नल में समाहित किया है। उनके द्वारा किये गए प्रकाशनों का इम्पेकट फेक्टर 14 के करीब है। डॉ. गहलोत ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया और जोधपुर विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया। आपने यूरापियन, आस्टेलियन, जापानी एवं एशियाई सम्मेलनों में ‘शोध पत्र वाचन किया है। अभी हाल में जापान एवं थाईलैंड में विशेष रूप से आंमत्रित किय गये एवं उनके शोध पत्रों का प्रकाशित किया। देश-विदेश प्रख्यात वैज्ञानिक संस्थाओं एवं वैज्ञानिकों के साथ आपका शैखिक अनुसंधान सहयोग है। डूंडी विश्वविद्यालय की प्रख्यात वैज्ञानिक प्रो. जेनेट स्पेन्ट के सहयोग से विभाग में चल रहे शोधकार्य को विश्वस्तरीय ख्याति प्राप्त हुई है।

डॉ. गहलोत ने कई अंतरराष्ट्रीय विश्वविधालयों जैसे की सीडनी, गेन्ट, मीयाझाकी, एमस्टरडेम, थाईलेण्ड आदि की यात्रा कर चुके है। आपको सेन्टर फोर राईजाबियम स्टडीज, मुरडोक विश्वविद्यालय, पर्थ से विजिटींग अनुसंधान प्रोफेसर के लिए आमन्त्रण प्राप्त हुआ। डॉ. गहलोत को आस्ट्रेलियन सरकार द्वारा क्रोफोर्ड फंड एवार्ड प्रदान किया गयां आप अमेरिकन सोसयटी फार माइक्रोबायोलॉजी, भारतीय वानस्पतिक संघ प्लांट फिजियोलॉजी संस्था आजीवन सदस्य है। यह विभिनन संस्थाओं के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी है। आपके निर्देशन में नौ शोधार्थियों ने पी.एच.डी पूर्ण की है । आपने माईक्रोबियल वर्गीकरण आणविक जीव विज्ञान, जैविक नाईट्राजन स्थिरीकरण एवं प्लांट फिजियोलॉजी जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल की है। आस्ट्रेलियन वैज्ञनिक डॉ. रवि तिवारी, डॉ. वयन रीव एवं अमरकीन जोइन्ट जीबोम संस्थान के सहयोग से आपने नवीन एनसीफर प्रज्ञाति जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय ज्सव का पूर्ण जीनोम अनुक्रम प्राप्त किया। किसी भी सहजीवी नाईट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले सूक्ष्मजीवी की पूर्ण जीनोम के अनुक्रम की यह भारत में पहली रिपोर्ट है। आपको उत्तकृष्ट सेवा सम्मान कुलपति, जे. एन.वी. यू. द्वारा प्रदान किया गया। सौ से भी अधिक सहजीवी जीवाणुओं के न्युक्लियोटाइड अनुक्रमों को एनसीबीआई अमेरीका के सार्वजनिक डेटाबेस में जमा कराया गया है। डॉ. गहलोत थार रेगिस्तान के स्थानीय फलीदार पौधों की जड़-ग्रंथि में पाय जाने वाले नवीन सहजीवी जीवाणुओं की खोज एवं सरंक्षण काक प्राथमिकता दे रहे है । क्योंकि राष्ट्र में इस प्रकार के अनुसनधान से भविष्य में जयवायु, परिवर्तन के कारण कृषि – उत्पादन पर पडने वाले प्रभावों को कम किया जा सकेगा इस प्रकार की शोध भविष्य में रासायनिक स्वाद के उपयोग को कम करने में सहायक सिद्ध होगी ।

डॉ. गहलोत मृदुभाषी तथा बहुमुखी प्रतिमा के धनी है। तथा विद्यार्थियों के लिये हमेशा प्रेरणादय स्त्रोत है। सभी विद्यार्थी डॉ. गहलोत के ज्ञान भण्डार से समय-समय पर लाभान्वित हुए है तथा हमेशा ही विद्यार्थियों को उचित मार्ग दर्शन किया। डॉ. गहलोत विभाग में होने वाली समस्त क्षैषिणक व सह क्षैषणिक गतिविधियों में हमेशा ही सक्रिय रहे है, तथा उनकी सलाह तथा कार्यविधि से विभाग निरंतर आगे रहा है |

डॉ. गहलोत वनस्पति शास्त्र विभाग में चलने वाली वृद्ध शोध परियोजनओं (COSIST, DSA, SAP, FIST) में सक्रिय भागीदार रहे है एवं अर्न्तराष्ट्रीय ख्याती प्राप्त करने में सहयोगी रहे है । इन्हे यू.जी.सी. वृघ्त शोध परियोजनाओं को चयन करने एवं मुल्यांकन करने के लिए यू.जी.सी. के चेयरमेन ने मनोनीत किया है। डॉ. गहलोत ने अन्य सहयोगी शिक्षको के साथ मिलकर उच्च शिक्षा में श्रेष्ठ उच्च मापदण्ड स्थापित करने हेतू ( सपीही ) को खडी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉ. गहलोत सपीही, इण्डिया के संस्थापक सदस्य एवं महासचिव है। डॉ. गहलोत समाज से जूडी संस्थायें श्री सुमेर उच्च माध्यमिक विद्यालय, श्री सुमेर महिला महाविद्यालय, श्री सावित्र फूल महाविद्यालय बागर चौक एवं बहुप्रतियोगी प्रशिक्षण संस्थान में समय-समय पर जाकर विद्यार्थियों को मोटीवेट करने में सहयोग किया है। माली समाज इनके पूर्ण सहयोग के लिए हमेशा आभारी रहेगा।

मनीष गहलोत

मनीष गहलोत

मुख्य सम्पादक, माली सैनी संदेश पत्रिका