डॉ. तारा लक्ष्मण गहलोत

डॉ. तारा लक्ष्मण गहलोत

बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी समाज गौरव

(राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित मातृशक्ति को जन्म जंयति पर सादर नमन)

18 जून 1933 को समाज रत्न श्रीमती स्व डॉ. तारा लक्ष्मण गहलोत का जन्म सैनी क्षत्रिय माली समाज के प्रथम स्नातक श्री पन्नालाल जी सांखला के यहां हुआ था। तारा जी बचपन से ही बहुत मेघावी थी और शिक्षा के प्रति उनकी रुचि बहुत थी। आर्य समाज पर परिवार के प्रभाव के कारण पिताजी भी महिला शिक्षा के समर्थक थे। तारा जी की प्रारंभिक शिक्षा वैदिक कन्या और तत्पश्चात राजमहल स्कूल से हुई। जब पढ़ाई रोकने की बात हुई और कुछ संघर्ष हुआ तो उन्होंने वैदिक कन्या में टीचर बनना स्वीकार किया और स्वयं नौकरी करते हुए स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में आगे बढ़ती गई । आपने ना केवल डबल एम. ए. किया बल्कि साहित्य रतन, साहित्य वाचस्पति इत्यादि हिंदी साहित्य से जुड़ी शिक्षा की डिग्रियां भी लीं। आप महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय अजमेर की समाज शास्त्र की एम.ए. की पहली गोल्ड मेडलिस्ट है। साथ ही राजस्थान से समाजशास्त्र में पीएचडी करने वाली पहली महिला कैंडिडेट है।

उनका संक्षिप्त परिचय देना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि उनके किए गए कार्य इतने विविध आयामी है, शिक्षा के क्षेत्र में, समाज कल्याण के क्षेत्र में, नारियों के उत्पीड़न रोकने के क्षेत्र में, बाल विकास, किशोर कल्याण इत्यादि विभिन्न गतिविधियों से जुड़ी रही।

आप जोधपुर विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रोफेसर और साथ ही एक समाज वैज्ञानिक और समाज सुधारक की तरह हमेशा महिलाओं, दिव्यांगों और समाज के वंचित वर्गों के लिए करते रहीं। आपके पति स्वर्गीय लक्ष्मण सिंह जी गहलोत ट्रांसपोर्ट व टायर व्यवसायी थे वह उनका भी बहुत सहयोग वह प्रोत्साहन रहा।

आप कई शैक्षणिक एवं सामाजिक संस्थाओं की सदस्य नेहरू विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, युवा टीम महिला महाविद्यालय जोधपुर से जुड़ी रहे, जिला साक्षरता समिति जोधपुर परामर्शदाता, पारिवारिक न्यायालय जोधपुर परामर्शदाता, लोक अदालत सावित्रीबाई फुले महाविद्यालय इतिहास से भी जुड़ी रहे। राजस्थान सरकार की ओर से भी उन्हें समय-समय पर बोर्ड की मानद सदस्यता प्रदान की गई और आप राज्य सरकार की ओर से बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष भी रहे। आप जिला महिला विकास अभिकरण जोधपुर, जोधपुर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, लोक जुंबिश इत्यादि कई कार्यक्रमों से जुड़ी रही और सदस्य रही।

आपने ‘‘ओलूं की आरसी’’ समेत लगभग 10 से अधिक राजस्थानी और हिंदी साहित्य ( गद्य और पद्य दोनों ) की पुस्तकों का लेखन किया। जिनके लिए आपको समय-समय पर विभिन्न राज्य राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार भी मिले।

आपको सन 1997 में भारत सरकार राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से प्रधानमंत्री जी के हाथों विज्ञान भवन दिल्ली में सम्मानित किया गया। रेस्पेक्ट इंडिया सम्मान 2008 में शिवचंद भर्तियां गद्य पुरस्कार, राजेंद्र राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर की ओर से महेंद्र जाजोदिया पुरस्कार, राजस्थानी रत्नाकर मानद डिलीट इत्यादि विभिन्न डिग्रियों में पुरस्कारों से नवाजा गया। आप विभिन्न साहित्यिक प्त्र पत्रिकाओं के संपादक सह संपादक अनुवादक भी रही।

सैनी समाज की ओर से भी उन्हें विभिन्न पुरस्कारों से नवाजा गया व 2017 का मां गौरा धाय पुरस्कार दिया गया। आपके परिवार में दो बच्चे डॉ.निधि वह इंजी ( डॉ.) आलोक सिंह गहलोत है जो कि एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज में कंप्यूटर साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर हैं।

समाज की मातृशक्ति के रूप में आपने कठिन परिस्थितियों में रहते हुए जो एचीवमेंट प्राप्त किए है उनसे हम सभी गौरवान्वित है आज शिक्षा एवं समाज सेवा के क्षेत्र में आपका नाम आदर के साथ लिया जाता है, आप निरंतर शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार करते हुए नवंबर 2018 में हमारे बीच में नहीं रही आपके स्वर्गवास से समाज के शैक्षणिक, साहित्यिक क्षेत्र में जो रिक्तता हुई है उसे भर पाना मुश्किल है हम आपके जन्म जंयति पर सादर नमन करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते है।

  • समाजशास्त्र में पीएचडी करने वाली पहली महिला।
  • राज्य सरकार की ओर से बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष।
  • राज्य राष्ट्रीय स्तरीय के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्राप्त।
  • सन 1997 में भारत सरकार राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से प्रधानमंत्री जी के हाथों विज्ञान भवन दिल्ली में सम्मानित।
मनीष गहलोत

मनीष गहलोत

मुख्य सम्पादक, माली सैनी संदेश पत्रिका