कैप्टन गुरुबचन सलारिया सैनी
परमवीर चक्र विजेता 1961 कैप्टन गुरुबचन सलारिया सैनी ( समाज के कोहिनूर जिनके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है )
कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया परमवीर चक्र (29 नवंबर 1935 – 5 दिसंबर 1961) एक भारतीय सैन्य अधिकारी और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान के सदस्य थे। वह परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले एकमात्र संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक है। वह किंग जॉर्ज के रॉयल मिलिट्री कॉलेज और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र थे। इन्हें यह सम्मान सन 1962 में मरणोपरांत मिला। कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया सैनी परमवीर चक्र का जन्म 29 नवम्बर 1935 को पंजाब, ब्रिटिश भारत ( वर्तमान में पाकिस्तान का हिस्सा ) में हुआ था तथा आपका 5 दिसम्बर 1961 लुबुम्बाशी, कातांगा प्रान्त, कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में मात्र 26 वर्ष की उम्र में शहीद हो गए थे। केप्टन गुरुबचन सलारिया सैनी दिसंबर 1961 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र के ऑपरेशन के तहत कांगो गणराज्य में तैनात भारतीय सैनिकों में शामिल थे। 5 दिसंबर को सलारिया की बटालियन को दो बख्तरबंद कारों पर सवार पृथकतावादी राज्य कातांगा के 150 सशस्त्र पृथकतावादियों द्वारा एलिजाबेविले हवाई अड्डे के मार्ग के अवरुद्धीकरण को हटाने का कार्य सौंपा गया। उनकी रॉकेट लांचर टीम ने कातांगा की बख्तरबंद कारों पर हमला किया और नष्ट कर दिया। इस अप्रत्याशित कदम ने सशस्त्र पृथकतावादियों को भ्रमित कर दिया, और सैनी ने महसूस किया कि इससे पहले कि वे पुनर्गठित हो जाएं, उन पर हमला करना सबसे अच्छा होगा। हालांकि उनकी सेना की स्थिति अच्छी नहीं थी फिर भी उन्होंने पृथकतावादियों पर हमला करवा दिया और 40 लोगों को कुकरियों से हमले में मार गिराया। हमले के दौरान गुरुबचन सलारिया सैनी को गले में दो बार गोली मार दी और वह वीर गति को प्राप्त हो गए। बाकी बचे पृथकतावादी अपने घायल और मरे हुए साथियों को छोड़ कर भाग खड़े हुए और इस प्रकार मार्ग अवरुद्धीकरण को साफ कर दिया गया। अपने कर्तव्य और साहस के लिए और युद्ध के दौरान अपनी सुरक्षा की उपेक्षा करते हुए कर्तव्य करने के कारण गुरुबचन सलारिया सैनी को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1962 में मरणोपरांत परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
निष्ठा | भारत सेवा/शाखा (भारतीय सेना) |
सेवा | वर्ष 1957-1961 |
उपाधि | कैप्टन |
सेवा संख्यांक | IC – 8947[1] |
दस्ता | 3/1 गोरखा राइफल्स |
युद्ध/झड़पें | कांगो संकट |
सम्मान | परमवीर चक्र |