दिहाड़ी मजदूरी करने वाले का बेटा सोमनाथ माली बना इसरो में साइंटिस्ट सोमनाथ माली
महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के सरकोली गांव के रहने वाले सोमनाथ माली के संघर्ष और मेहनत की कहानी सब को प्रेरित करने वाली है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जिला परिषद प्राइमरी स्कूल से पूरी की और ग्यारहवीं की पढ़ाई शास्त्र शाखा से पंढरपुर स्थित केबीपी कॉलेज से की।
माता पिता हैं मजदूर
सोमनाथ माली के शुरुआत से लेकर इसरो तक का संघर्ष काफी कठिन परिस्थितियों से होकर गुजरा। उनकी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए उनके माता-पिता ने खेतों में मजदूरी की । उनके माता-पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए वे पढ़ाई का खर्च नहीं उठा सकते थे। आर्थिक स्थिति को दूर करने के लिए उनके माता-पिता और भाई ने खेतों में मजदूरी करके पढ़ाई के लिए पैसे जुगाड़ किए ।
आई.आई.टी. से पूरी की इंजीनियरिंग
सोमनाथ 12वीं कक्षा में 81 फीसदी अंको से उत्तीर्ण होने के बाद बीटेक करने के लिए मुंबई गए। वहां से उन्होंने आईआईटी दिल्ली के लिए मैकेनिकल डिजाइनर के रूप में चुना गया।
उन्होंने गेट परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक हासिल किया। उसके बाद उन्होंने दिल्ली आईआईटी से एमटेक भी किया। कुछ दिनों तक इंफोसिस में नौकरी करने के बाद नवंबर 2019 में इसरो में वरिष्ठ वैज्ञानिक की वैकेंसी के लिए आवेदन किया। उन्हें वहां सफलता मिली और इसरो में सीनियर वैज्ञानिक के तौर पर चुने गए।
डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से हुए प्रेरित
सोमनाथ भारत के मिसाइल मैन के नाम से जाने जाने वाले डॉ एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरित थे। उन्होंने उनकी जीवनी पढ़कर प्रेरणा पाई है। इसरो के चंद्रयान 3, अंतरिक्ष स्टेशन और खास खूबियों वाले रॉकेट जैसे प्रोजेक्ट्स में शामिल होने की इच्छा है।
विमान इंजन के डिजाइन पर कर चुके हैं काम
आईआईटी दिल्ली से मैकेनिकल डिजाइनर में दाखिला लेने के बाद आईआईटी में ही सोमनाथ को विमान के इंजन के डिजाइन पर काम करने का मौका मिला। इस मौके का उन्होंने अच्छे से इस्तेमाल किया और बाद में वे एयरक्राफ्ट इंजन डिजाइन के एक्सपर्ट हो गए। हमें सोमनाथ माली पर गर्व है। आपने समाज को गौरवान्वित कियाहै । आज की युवा पीढ़ी के लिए आप एक आदर्श रॉल मॉडल है।