निर्मल संत आत्मा रामजी महाराज
– मदनसिंह सोलंकी, नागौर
राजस्थान प्रदेश में सैनिक क्षत्रिय ( माली ) समाज में महान विभूतियां हुई है जैसे संत, विद्वान, शूरवीर भामाशाह आदि। जिन्होंने अपने अपने क्षेत्र में महान कार्य किये है जो सदैव स्मरणीय रहेगे। राजस्थान के सैनिक क्षत्रिय माली समाज में अनेक महान संत भी हुए संत शिरोमणी लिखमीदास जी महाराज, अचलाराम जी महाराज, अचल नारायण जी महाराज, गनदास जी महाराज, श्री रामजी महाराज, देवीदान जी महाराज, महिला संत अंजनेश्वरजी महाराज, हीरा बाई जी महाराज, रामबक्ष जी महाराज, सेरामदास जी महाराज इत्यादि।
रामचंद्र जी दगदी टाक एवं श्रीमती धन्नीदेवी की कोख से आत्माराम जी महाराज का जन्म सन् 1970 में भोमा जी का बेरा पीपाड़, जोधपुर में हुआ। आपकी बचपन से ही सत्संग में बड़ी रूची थी। इसलिये जहां कहीं भी आस पास में सत्संग होती। आप अवश्य रूप से वहां पधार जाते एवं सत्संग का आनंद लेते। सन् 1984 में सत्संग में आस्था बहुत पक्की हो गई। इसलिए नियमित रूप से प्रत्येक सत्संग में जाने लगे।
सत्संग में प्रगाढ़ रूचि होने के कारण सन् 1987 में कक्षा नवमीं पास करके पढ़ाई छोड़ दी। सत्संग के प्रभाव से वैराग्य उत्पन्ना हो गया एवं गर्मियों की छुट्टियों के बाद जुलाई 1987 में आपने संन्यास ग्रहण कर लिया। आपके गुरू जी का नाम प्रभुदास जी महाराज है जो पीपाड़ सिटी में विराजते है। आपने गुरू जी के सानिघ्य में सन् 1987 से लेकर सन् 1996 तक पीपाड़ सिटी में कठोर भक्ति की।परम पूज्य वीत राग वैराग्य वान श्री 1008 गोमंद रामजी महाराज राम स्नेही धाम ग्राम सिणोद जिला नागोर में है जिसका मुख्यालय ग्राम भौजास में है।
अंतराष्ट्रीय राम स्नेही धाम रेण जिला नागोर के वर्तमान आचार्य श्री 1008 हरि नारायण जी महाराज की आज्ञा से आत्माराम जी महाराज सन् 1997 में ग्राम सिणोद पधारें तब से लेकर आज तक आप यहां पर ही विराज रहे है। और राम का जाप कर रहे है। आपके यहां आने के बाद यह रामद्वारा प्रगति की और अग्रसर है। ख्याति नाम गोमंदराम जी महाराज एवं इनके गुरूजी का सांवलदास जी महाराज गोमंदराम जी महाराज की बुधवार आसोज बदी 22 विक्रम सवंत 1876 में जीवित समाधि ली। यह स्थान ग्राम सिणोद के तालाब के पास है जहां यह रामद्वारा स्थित है।
आत्माराम जी महाराज के प्रयास से ग्राम सिणोद वासियों के जनसहयोग से सन् 1998 में इस धाम का नव निर्माण करवाया। आपकी प्रेरणा से निज देवल का जीर्णोद्वार श्रीमती इंदिरा बाई सोनी गोटन जिला नागौर ने करवाया जो दिनांक 3 अप्रैल , 2006 को पूर्ण हुआ प्रत्येक वर्ष इस धाम में आसोज वदी 12 को सुबह 7.15 पर एवं भादवा सुदी 11 को पत्थर की इस तालाब में आप द्वारा तीराई जाती है जिसका वजन लगभग 25 किलो है। इस धाम की विशेषता है कि आज से लगभग 100 वर्ष पूर्व 20-25 संत यहां भक्ति में लीन रहते थे। संपूर्ण ग्राम गोमंदराम जी महाराज को ध्याते (मानते) है। किसी के गले में गांठ हो जाये तो रामद्वारा की पंखी फिरवाने से ठीक हो जाते है। जब कभी गांव में आग लगती है ओर वह नहीं बुझती है तो गोमंदराम जी महाराज के पगासियों ( चरणों ) को पानी में खोस कर उस पानी को आग पर छिड़कने से आग तुरंत बुझ जाती है।
प्रेम से बोलो कृष्णो, रही न मारे तृष्णा।
मदन सिंह सोलंकी के, अमृत अमृत बरसणां।