रामस्नेही सन्त श्री राम प्रसाद जी महाराज
रामस्नेही सन्त श्री राम प्रसाद जी महाराज श्री बड़ा रामद्वारा, सूरसागर, जोधपुर
आपका जन्म 1 सितम्बर 1971 ( सम्वत 2028 भादवा सुदी देवझूलनी ग्यारस ) के दिन पिता श्री हजारीराम जी भाटी के घर माता श्रीमती गवरीदेवी की कोख से एक कृषक परिवार में ग्राम बाघोरिया, तहसील भोपालगढ़, जिला जोधपुर ( राजस्थान ) में हुआ।
पिता के घर में सन्त महापुरूषों का समय-समय पर आवागमन होता रहता था। जब आप 5 साल के हो गये थे तो एक दिन गुरू श्री मेाहनदास जी महाराज सन्त मण्डली के साथ गांव पधारें सत्संग हुआं सन्त कृपा से आप अपनी दादी गट्टूबाई के साथ जोधपुर स्थिति श्री बड़ा रामद्वारा सूरसागर आ गये। दादा गुरू श्री परमहंस अभयराम जी महाराज के पावन सान्ध्यि में श्री मोहनदास जी महाराज से दीक्षा लेकर ज्ञान अर्जित करने लगे। बचपन से ही आप बड़े होनहार विलक्षण बुद्धि के थे। तथा यहां से 8 वीं तक शिक्षा ग्रहण की तत्पश्चात् आप दरबार संस्कृत महाविद्यालय, जून धान मण्डी जोधपुर से संस्कृत विषय में प्रवेशिका उपाध्याय, वरिष्ठ उपाध्याय की शिक्षा के बाद इलाहाबाद से वैध विशारद की उपाधि प्राप्त की। रामायण में भी आपने उतमा की परीक्षा उतीर्ण की।
दादा गुरू श्री अभयराज जी महाराज की प्रेरणा से विद्या अध्ययन करते हुए आपने भागवत कथा प्रवचन प्रारम्भ किया। गुरू कृपा से आप इतनी कम आयु में 250 से अधिक बार श्रीमद्भागवत सप्ताह कथा का आयोजन कर चुके हैं। आपको सन्तों के सत्संग, प्रवचन एवं सन्त साहित्य द्वारा सत्संग का परम लाभ प्राप्त हुआ। गुरू चरणों मेंरहकर ही आपने वाणिये कंठस्थ की।
आपके द्वारा सत्संग कथा प्रवचन एवं सनातन संस्कृति का प्रचार भारत के बद्री नाथा, ऋषिकेष, हरिद्वार, शुक्रताल, वृन्दावन, द्वारका, सूरत, पूना, बम्बई आदि स्थानों पर हुआ तथा राजस्थान में स्वरूपगंज, पुष्कर, गोरड़ी, राजलदेसर, पोकरण, तिंवरी, मथानिया, ओसियां, कोटडा, खांगटा, आदि स्थानों पर कथा सत्संग के विशाल कार्यक्रमों के द्वारा आपकी संगीतमय कथा से धर्मप्रेमी जन लाभान्वित हुए। जोधपुर शहर व आस पास के सभी प्रमुख स्थानों पर आपकी जनप्रिय वाणी से सत्संग प्रेमी भाई-बहन सत्संग का लाभ प्राप्त करते रहते हैं।
श्री बड़ा रामद्वारा सूरसागर के तत्वावधान में गऊ सेवा, सन्त सेवा, चिकित्सा शिविर, भूकम्प, बाढ़ पीडितों की सेवा में सन्त श्री रामप्रसाद जी महाराज का पूर्ण सहयोग रहा है। परमहंस श्री अभयराम जी महाराज के ब्रह्मलीन होने पर परमहंस श्री मोहनदास जी महाराज ने वि.सं. 2059 में पौष माह में सन्त श्री रामप्रसाद जी महाराज को उतराधिकारी नियुक्त किया।
गुरु वन्दन
अभयराम दादा गुरू, सतगुरू मोहनदास।
राम प्रसाद कूं राखजो प्रभु! अपनों निज दास।।
सूरसागर गुरू धाम में, व्राजै गुरू महाराज।
शीश निवाय मुख बोलिये, राम-राम महाराज।।
श्री बड़ा रामद्वारा सूरसागर में: समाज के पावन वंश परम्परा से जनकल्याण हेतु सेवा भाव से समर्पित सन्त श्री नृसिंहदास जी, सन्त श्री टीकमदास जी, सन्त श्री श्रवणदास जी, सन्त श्री मनोहरदास जी, सन्त श्री पुनारामजी, सन्त श्री तारकराम जी, सन्त श्री रामवरूपजी, सन्त श्री कल्याणदास जी, सन्त श्री कानाराम जी।