सैनिक क्षत्रियकुलों की खांपें
महाराष्ट्र के माली
महाराष्ट्र प्रदेश में माली समाज लाखों की संख्या में बसा हुआ हैं। भारतप्रसिद्ध सुप्रसिद्ध समाज सेवी महात्मा जोतिराव फुले महाराष्ट्र के ही माली थे। उनका गोत्र गोरा था। महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री छगनराव भुजबल भी माली ही है। झाझड के भूपेन्द्रकुमार सैनी ने महाराष्ट्र के माली समाज के विषय में सैनी समाज संस्था नवलगढ़ की स्मारिका जाग्रति (प्रकाशन 1997) के पृ. 67 पर लिखा है –
‘‘महाराष्ट्र- यहाँ के माली समाज की मुख्य शाखा व पशाखायें सैनी राजपूत कुलों वाली है। जैसे भुमार (तंवर), भरेल (पंवार), गोरा (चौहान), वाहाड़-गहलोत वानखेड-गहलोत, नवले-पंवार बनकर लोखंडे, भालेकर, काजले, तखडी, होले पाढरे, कोरडे, अडत व्यवहारे, खटाले, ढोणे चतारे, शावे, भुजबल, सिपरकर, करादे, रेगले देशे, मगले, मालघूरे, सेरवुले, बेलसरे, देडे, घोडे, इंगले राउत, ढवले, आदलिये, बदले और झुट जिनसे माली जाति के विस्तार का अनुमान लगाया जा सकता है।‘‘ महाराष्ट्र माली समाज महासंघ पूना के अध्यक्ष (विधायक) कृष्णरूव इंगले है और सचिव माधवराव हुडेकर थे। पूर्व में (1998-2000) अध्यक्ष श्री बालमोहन आदलिंगे थे।