माली जाति का प्रमाणिक इतिहास
भिन्न-भिन्न मर्दुमशुमारी की रिपोटों से इस बात की पुष्टि होती है कि इस जाति की उत्पत्ति राजपूत जाति से है। उदाहरण के लिए जोधपुर राज्य की मर्दुमशुमारी रिपोर्ट सन् 1891 के जिल्द 2 पृष्ठ 40 पर ‘राजपूत माली’ नाम के शीर्षक के नीचे इस प्रकार लिखा है-
‘‘यह लोग राजपूतों से अपनी उत्पत्ति मानते हैं।’’
यही बात जोधपुर राज्य की मर्दुमशुमारी रिपोर्ट सन् 1891 (हिन्दी संस्करण) के पृष्ठ 80 तथा भारत मनष्यगणना रिपोर्ट सन् 1901 ई. जिल्द 25 (अंगे्रजी) पृष्ठ 156 (केप्टेन ए.डी.बेनरमेन आई.सी.एस. राजपूताना) पर दुहराई गई है-
Census Report of India 1901A.D Vol. XXV (Rajputana) part 1 (Report) by Capt. A.D. bannerman I. C.S., Superintendent of Census Operations, Rajputana (Brief account of certain castes and Tribes) page 156 :
‘… In Marwar (Jodhpur State) there is a local tradition that some Rajput’s who were imprisoned by Shahabuddin Ghori were released through the good Offices of one of the gardeners of the Emperor by name Baba, on their promising to adopt the profession of Rajput Clans to which they belong.’
राजपूताने की मर्दुमशुमारी रिपोर्ट सन् 1921 ई. भाग 1, अध्याय 2, पृष्ठ 218 में यह लिखा है कि-
Rajputana Census Report 1921 A.D. part A Chapter II. Caste, Tribe, Race of Nationality Group li. Cultivators, (including growers of special products) page 218 :
‘… Malis, Second in numerical strength are mostly found in Jaipur, Marwar, Kota, Alwar, Mewar, Bharatpur, Bundi and Ajmer-Merwara. They claim their origin from Rajputs and assert that gardening was their main occupation; that the root of the word Mali is ‘Mal’ meaning ‘Cultivation’ and that their sects correspond with those of Rajputs…’
‘सरदार रसाला में सूबेदार और दफेदार पर पर अच्छी सेवा की थी।
‘‘ये लोग राजपूतों से अपनी उत्पत्ति बताते हैं और कहते हैं कि खेती बाड़ी उनका खास पेशा है। माली शब्द ‘माल्’ धातु से बना है जिसका अर्थ हे खेती करना। इनके गोत्र (खांप-वंश) वही है जो राजपूतों के हैं।’’
पंजाब गजेटीयर (जिला हिंसार) सन् 1892 के पृष्ठ 132 पर लिखा है-
Gazetteer of Hissar District ( Punjab) by F.J. Fagan Esq. Settlement office, 1892 A.D., published by Punjab Government in 1893, chapter III. The people page 132 :
‘They smoke and eat with Jats and Rajputs THEY WERE ORIGINALLY KSHATRIYA.’
‘‘इनका हुक्का पानी, खाना-पीना जाट और राजपूतों के साथ होता है। ये लोग पहले क्षत्रिय थे।‘‘
‘‘संयुक्त प्रान्त की जातियाँ और उपजातियाँ’ ‘ नाम की सरकारी पुस्तक जिसे विलियम क्रूक साहब सी.आई.ई., ने सन् 1896 (सम्वत् 1952) में लिखा था, उसके भाग 4,पृष्ठ 256 पर लिखा है कि-
In the ‘Castes and Tribes of N.W.P.(United Province) by Mr. William Crooke C.I.E., I.C.S. Vol. IV 1895 A.D. page 256 (published by government of India, Calcutta) it is said:
‘Saini (correct Sainik) is a gardening and cultivating Tribe. The man of this tribe not seldom takes service and especially in the CAVALRY And CLAIM RAJUPT ORIGIN.’
‘‘सैनी जाति खेती-बाड़ी करने वाली कृषि कौम है। इस जाति के लोग अक्सर नौकर पेशा होते हैं और खास कर घुड़सवारों में ये लोग राजपूत जाति से अपनी उत्पत्ति बतलाते है। अकाल आदि कारणों से ये लोग इन्हें रसायनी कहने लगे। इसी से बिगड़ कर इनका सैनी (शुद्ध सैनिक) नाम पड़ गया।’’
डॉक्टर जे.एच.हटन, डी.एस.सी.,सी.आई.ई.,मर्दुमशुमारी कमिश्नर गवर्नमेन्ट ऑफ इन्डिया लिखते हैं-
Letter No.1 Enum. Dated 29th January 1931 from Dr J.H Hutton, D.S.C., C.I.E., Census Commissioner, Government of India, says:-
With reference to your No. 3987/G dated the 20th January 1981 I have the honour to say that I do not at present see any objection to the use of the terms ‘SAINIK RAJPUT’ for designating your community in India. Generally, even if variant terms are used in different States,’
‘‘आपकी जाति को आम तौर पर हिन्दुस्तार में सैनिक राजपूत नाम से पुकारने और लिखने में मुझे कोई एतराज नहीं है। हालांकि भिन्न-भिन्न रियासतों में भिन्न-भिन्न नामों का व्यवहार हो रहा है।‘‘
राजपूताना और अजमेर-मेरवाड़ा की मर्दुमशुमारी का सुपरिंटेन्डन्ट अपने हुक्म नम्बर 783 तारीख 12 फरवरी 1931 में लिखता है कि-
‘‘हिन्दुस्तान के मर्दुमशुमारी कमिश्नर देहली ने यह निश्चय किया है कि जो माली अपने आपको ‘‘सैनिक क्षत्रिय’ ‘ नाम से अपनी जाति लिखवाना चाहें, उनको हिन्दुस्तान में इस नाम से दर्ज किया जावे। इनकी सैनिक क्षत्रिय दर्ज किया जावे जो एक जुदा जाति है।’’
यही हुक्म दरबार साहब के हुक्म से जोधपुर राज्य के ‘‘मारवाड़ गजट’’ ता. 21 फरवरी सन् 1931 के पृष्ठ 284 पर भी प्रकाशित किया गया। मारवाड़ स्टेट की मर्दुमशुमारी रिपोर्ट सन् 1931 ई. में इसी हुक्म के अनुसार इस जाति को ‘‘सैनिक क्षत्रिय’ ‘ नाम से दर्ज किया गया।
हुक्म चीफ मिनिस्टर गवर्नमेंट ऑफ जोधपुर ता. 23 फरवरी 1937 (नकल चिट्ठी नं. 2240 ता. 6-2-1936 पी.डब्यू मिनिस्टर का इस प्रकार है-)
ORDER
Jodhpur, the 6th Februry, 1937.
No.2240Subject.-Recording of Malis as ‘Sainik Kshatriyas’ in Pattas and Development Department records.
Reference. – P.W.D. Minister’ s No. 431 Dated 22nd October,1936.His Highness has stated his personal view that he has no objection to Malis being recorded as ‘Sainik Kshatriyas’ in the pattas of the Development records.
हुक्म
महकमा खास, जोधपुर
ता. 6 फरवरी 1937 ई.श्री महाराजा साहिब बहादुर ने अपना निजी विचार प्रकट करते हुए यह फरमाया है कि मालियों को पट्टों में या डेबलोपमेंट के कागजात में ‘‘सैनिक क्षत्रिय’ ‘ दर्ज किये जाने में कोइ एतराज नहीं है। फकत ता. 23 जनवरी सन् 1937 ई.
Mehkmakhas D.M. Field. LT. Col. C.I.E.
Jodhpur Chief Minister
January23, 1937 Government of Jodhpur