समाज के दंबग नेता श्री ब्रह्मसिंह परिहार का हुआ निधन, अनेकों लोगों ने दी श्रृंदाजलि
हर वर्ग के दुख दर्द में सहभागी बननें वाले वरिष्ठ समाजसेवी के निधन से समाज में शोक की लहर
जोधपुर। माली समाज के दिवंगत नेता पूर्व माली संस्थान अध्यक्ष ब्रह्मसिंह परिहार का हुआ निधन। ब्रह्मसिंह परिहार पिछले कुछ समय से बीमार थे तथा उनको नई दिल्ली के वेदांता अस्पताल एयर एंबयूलेंस से ले जाया गया। जहां ईलाज के दौरान 26 सितंबर को उन्होंने ली अतिम सांस।
जैसे ही समाज के सभी वर्गो को पता चला की ब्रह्मसिंह भईसा नहीं रहे अनेकों गणमान्य व्यक्तियों के साथ समाज के सभी वर्गो ने उनके निवास स्थान पर पहुंच उन्हें श्रृंद्वाजलि अर्पित की। उनकी अंतिम यात्रा दिनांक 27 सितंबर को उनके निवास स्थान से रामबाग श्मशान ले जाते समय सैकड़ों की संख्या में लोगों ने उपस्थिति दी तथा क्षेत्र के सभी व्यवसायियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद कर उन्हें सम्मान दिया।
उनके आकस्मिक निधन पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि समाज ने एक महान व्यक्तित्व खो दिया है हमेशा सभी के सरलता से उपलब्ध रहने वाले भईसा के उपनाम से प्रसिद्व ब्रह्मसिंह परिहार ने सुमेर स्कूल एवं माली संस्थान के पदाधिकारी के रूप में अनेकों जन कल्याण के कार्य किए। उनके जाने से जो रिक्तता समाज में हुई है उसे कभी पूरी नहीं की जा सकेगा। राजस्थान की मुख्यमंत्री वंसुधरा राजे, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत सहित भाजपा एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ समाज के प्रबुद्वजनों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए परिजनों से मिल इस दुख की घड़ी में संबल प्रदान किया।
ब्रहृसिंह परिहार का जीवन परिचय:
सैनिक क्षत्रिय माली समाज को सुदृढ़ता के आधार ब्रह्मसिंह परिहार का जन्म एक किसान परिवार में 19 अक्टूबर 1939 को मंगलसिंह परिहार के यहां बासनी तंबोलिया में हुआ। आपने प्राथमिक शिक्षा भदवासिया स्कूल से प्राप्त की थी। मण्डोर निवासी ठेकेदार जेठूसिंह गहलोत की पुत्री राजेश के साथ 26 जून 1968 को आप विवाह सूत्र में बंधे। परिहार बचपन से ही सादा जीवन उच्च विचार के सिद्वान्त पर विश्वास करते थे जिसे अपने अंतिम समय तक आत्मसात किये हुये थे। आप अत्यन्त निर्भीक, स्पष्टवादी व साहसी व्यक्तित्व के धनी रहे। सदा ही समाजोत्थान के कार्यो में व्यस्त रहना आपका स्वभाव था।, जो कि भावी पीढ़ियों के लिए अनुकरणीय है।
परिहार 1972 से निरन्तर सात वर्षो तक श्री सुमेर स्कूल के मैनेजर रहे। इसी प्रकार वर्ष 1990 से लगातार दस वर्षो से अधिक समय तक माली संस्थान जोधपुर के अध्यक्ष पद पर अपनी सेवाएं प्रदान की। आपने सुमेर स्कूल के विकास की ओर विशेष ध्यान देते हुए वहां पर माली धर्मशाला का निर्माण करवाया और अपने भ्राता की स्मृति में सुमेर स्कूल में माणक मंच का निर्माण कर समाज को 1970 में समर्पित किया। 1971 से 1974 तक आपने जोधपुर नगर परिषद के सदस्य के रूप में बहुत ही लगन व सक्रियता से एक पार्षद की भूमिका के दायित्वों का निर्वाह किया।
आपने 1980 व 1993 में जोधपुर में सरदारपुरा एवं भोपालगढ़ विधानसभा का चुनाव भी लड़ा किन्तु आप विजयश्री से दोनो समय वंचित रहे, फिर भी आप सहृदयता से समाज सेवा के पुनीत कार्यो में व्यस्त रहे। आप समाज के हित के लिए आयोजित विभिन्न सम्मेलनों में भाग लेने के लिए, दिल्ली, गुड़गांव, तालकटोरा स्टेडियम आदि में अपनी उपस्थिति एवं मार्गदर्शन देते रहे व निरंतर समजोत्थान हेतु कार्य करते रहे। समाज सेवा के अतिरिक्त आपने बिल्डिंग एवं सड़कों के निर्माण की ठेकेदारी के कार्य भी किए यहीं नहीं आपने बासनी तंबोलिया में फलों की खेती के एक विशेष सुंदर फार्म-हाउस का निर्माण भी किया।
आपके निधन पर माधव पर्यावरण सोसायटी द्वारा आपकी यादों को चिर स्थायी बनानें के लिए आमों के पेड़ लगा श्रृंद्वाजलि अर्पित की गई। सोसायटी के सुभाष गहलोत द्वारा आयोजित शोक सभा में समाज के अनेकों गणमान्य व्यक्तियों ने आपके जीवन में किए परोपकार के कार्यों से सीख लेने की बात कही। माली संस्थान अध्यक्ष पुखराज सांखला ने समाज के नीमा निमणी काण्ड का उल्लेख करते हुए बताया कि समाज के लोगों को बचाने के लिए ब्रह्मसिंह जी ने अपने जीवन को दांव पर लगाया उस काण्ड में आरोपित हुए समाज के अनेकों युवकों को रोज जेल में अपने घर से खाना भेजते थे तथा उनको दोष मुक्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक अपने खर्चे से केस लड़ा कर सभी को बाईज्जत बरी करवाया। परिहार साहब जब कोई कार्य हाथ में लेते थे तो उसे पूरा किए बगैर चैन से नहीं बैठते थे यहीं उनकी विशेषता थी कि समाज के सभी वर्ग न्याय की आस के लिए उनके पास जाते तथा कभी निराश नहीं होते ।
माली सैनी संदेश परिवार दिवंगत आत्मा की चिर शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है तथा शोकाकुल परिवार के इस दुख की घड़ी में साथ है। समाज ही नहीं अन्य समाज के सभी वर्गो ने भी ब्रह्मसिंह परिहार के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त किया। समाज में ऐसे महान व्यक्तित्व की कमी कभी पूरी नहीं की जा सकेगी।