भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान डॉ. रूपा सैनी
रूपा सैनी का जन्म आज ही 2 सितंबर 1955 को हुआ था। रूपा सैनी ने महज 13 साल की उम्र से 1968 में की तरफ से हॉकी नेशनल में भाग लिया। सैनी सिस्टर्स कृष्णा सैनी, स्वर्णा सैनी, प्रेमा सैनी, रुपा सैनी के नाम से मशहूर चारों बहनें स्पोर्ट्स से जुड़ी हैं। रूपा सैनी सबसे छोटी हैं। रूपा की बड़ी बहन प्रेमा सैनी भी भारतीय महिला टीम की कैप्टन रही हैं। उनसे छोटी बहन कृष्णा सैनी इंटरनेशनल एथलीट के साथ 8 साल पंजाब की बेस्ट एथलीट रहने के साथ हॉकी व वॉलीबॉल भी खेलती रही हैं। स्वर्णा सैनी भी हॉकी की इंटरनेशनल खिलाड़ी हैं और उन्होंने छोटी बहन रूपा सैनी के साथ 1968 में पंजाबी यूनिवर्सिटी की तरफ से ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी नेशनल हॉकी की शुरुआत की। रूपा सैनी बताती हैं कि पिता नत्थू राम सैनी जिस बरजिंदरा कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ( माली ) थे, उसी कॉलेज में मैं 7 साल तक लेक्चरर रही।
रूपा सैनी ने हॉकी की शुरुआत अपनी बड़ी बहन प्रेमा सैनी के खेल को देखकर की। फरीदकोट सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पांचवीं क्लास की पढ़ाई से ही हॉकी की शुरुआत करते हुए राइट इन पोजीशन पर खेलना शुरू किया। 1970 बरजिंदरा कॉलेज में पढ़ाई शुरू की और हॉकी के साथ वॉलीबॉल और एएथलेटिक्स में भी नेशनल स्तर तक उपस्थिति दर्ज करवाई। रूपा सैनी भारतीय टीम में सेंटर हॉफ पोजीशन खेलती रही हैं।
1975 में 20 साल की उम्र में अर्जुन पुरस्कार हासिल करने वाली सबसे युवा खिलाड़ी बनी। इन्होंने 1981 में एयर फोर्स में विंग कमांडर अतर सिंह बढ़वाल से शादी की। डॉ. रूपा 34 साल तक टीचर रहीं। 1976 में बरजिंदरा कॉलेज फरीदकोट में फिजिकल लेक्चरर जॉइन किया, 2009 में प्रिंसिपल प्रमोट हुईं और 2012 में सरकारी महिंद्रा कॉलेज पटियाला से प्रिंसिपल रिटायर हुईं। डिप्टी डायरेक्टर फिजिकल एजुकेशन 2002 से 2005 चंडीगढ़ में रहीं । रूपा सैनी ने 1970 में महज 15 साल की उम्र में सबसे युवा खिलाड़ी के रुप में जापान में खेले सिल्वर जुबली टूर्नामेंट में भारत की तरफ से खेलते हुई जीत हासिल की। टूर्नामेंट में बड़ी बहन प्रेमा सैनी भी भारत की तरफ से टॉप स्कोरर थी। 1971 युगांडा वुमन हॉकी टीम के खिलाफ टेस्ट सीरीज में जीत हासिल की। टीम की कैप्टन बड़ी बहन प्रेमा सैनी और स्वर्णा सैनी भी टीम का हिस्सा थीं। 1971 न्यूजीलैंड में वुमन हॉकी वल्र्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लिया, 1974 फ्रांस में फस्र्ट वुमन हॉकी वल्र्ड कप में भागीदारी, 1975 स्कॉटलैंड में तीसरी वुमन हॉकी वल्र्ड चैंपियनशिप में भागीदारी, 1975 मद्रास में बेगम आजाद रसूल इंटरनेशनल ट्राफी टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम में वे थीं ।
रूपा सैनी देश की पहली हॉकी खिलाड़ी हैं जिन्होंने कप्तानी की हैट्रिक करते हुए 1978 स्पेन में तीसरे वुमन वर्ल्ड कप, 1979 कनाडा वल्र्ड चैंपियनशिप में भारतीय टीम की कप्तानी की और दोनों में 7वां स्थान मिला। इसके अलावा 1980 मॉस्को ओलंपिक में चौथा स्थान हासिल करने वाली भारतीय टीम की कप्तान थी। भारत की तरफ से रूपा सैनी ने 1981 में सोवियत संघ टीम के खिलाफ टेस्ट मैच में जीत के बाद हॉकी से संन्यास लीं। 2002 के राष्ट्रमंडल खेलों में महिला हॉकी में भारत में स्वर्ण पदक जीता था। डॉ. रूपा सैनी इस टीम की मैनेजर थीं।
1980 मॉस्को ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम ने चौथा स्थान हासिल किया था। रूपा सैनी इस टीम की कैप्टन थीं। गोल एवरेज पर टीम ने फोर्थ पोजीशन हासिल की। रूपा सैनी बताते हैं कि तब हॉकी के हालात काफी खराब थे। ओलंपिक खेलने गई महिला टीम ने 78 वल्र्ड कप की किट पहनी और 1979 वल्र्ड चैंपियनशिप के दौरान मिले ट्रैक सूट से ही काम चलाना पड़ा था। पुरानी किटों पर नया लोगो लगाकर ही टीम खेली थी।