डॉ रोमन सैनी – देश के सबसे युवा आई.ए.एस.
कुछ भी इंपॉसिबल नहीं – डॉ रोमन सैनी रोमन सैन फर्स्ट अटेमट में ही सिविल सर्विसेज एग्जाम – 2013 में 18वीं रैकं प्राप्त कर आई.ए.एस. के लिए चुने गए है। आइए जानते है कैसे हासिल किया रोमन ने इस मुकाम को।
मैं सिविल सेवा परीक्षा 2013 में पहली बार सम्मिलित हुआ, लेकिन पूरी तैयारी के साथ। मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू के बाद में टॉप 100 में आने को लेकर आश्वस्त था, लेकिन जब पता चला कि 18वीं रैंक आई है तो सुखद आश्चर्य हुआ। इसके बारे में कभी सोचा नहीं था। खुद को टॉप 20 देखना मेरे लिए एक खुशनुमा अहसास है।
सबने रखा जरूरतों का ख्याल
मैं किशोरावस्था तक जयपुर में अपने परिवार के साथ रहा। पापा ने शुरू से ही पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। मां इस बात का पूरा ख्याल रखती थी कि मुझे किसी भी तरह से पढ़ाई में डिस्टरबैंस न हो । भईया ने भी मेरी जरूरतों का हमेशा ख्याल रखा । सब कहूं तो फैमिली, रिलेटिव्स और फ्रेड्स के सपोर्ट के बिना इस मुकाम तक पहुंचना मुश्किल था।
भटकने नहीं दिया ध्यान
मैंने 16 साल की उम्र में 2008 में पहले अटेम्प्ट मे ही एमबीबीएस कांम्लीट कर लिया था। बतौर जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर मैंने नई दिल्ली के एम्स में 30 जून 2014 तक अपनी सेवाएं दी। 8 घंटे इंटर्नशिप करते हुए लगभग 6 घंटे स्टडी के लिए समय निकाला। इस दौरान किसी तरह से अपना ध्यान भटकने नहीं दिया।
जब पूछा गया दहेज पर सवाल
मेरा इंटरव्यू अमर प्रतापसिंह ( सीबीआई के पूर्व डॉयरेक्टर ) के बोर्ड में था। इंटरव्यू में कई रोचक सवाल पूछे गए। एक सवाल यहा था कि आपके राज्य में शादी में दहेज तो काफी मिलता है, तब तो आपकी भी बोली लगेगी। इस पर मेरा जवाब था कि एक आईएएस इन सब बातों में विश्वास नहीं करता । चैलेजिंग है प्रोफेशन
सिविल सर्विजेज के प्रति युवाओं का अट्रैक्शन लगातार बढ़ रहा है। आज गांवों और छोटे शहरों के स्टूडेंट्स भी इस सेवा के लिए चुनकर आ रहे है। यह एक ऐसा प्रोफेशन है, जिसमें बहुत बड़ी जिम्मेदारी मिलती है। आप उस पोस्ट पर बैठे होते है, जिससे लोगों की उम्मीदे आपसे जुड़ी होती है। उन उम्मीदों को पूरा करने के लिए गवर्नमेट आपको पॉवर देती है। किसी और प्रोफेशन में यह सब नहीं मिल सकता ।
संयम का साथ
एक प्रशासनिक अधिकारी पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। उसे सोसायटी में अलग-अलग लोगों के बीच काम करना पड़ता है । उसे शांति के साथ सबको बात सुननी पड़ती है। उसके लिए ईमानदार, धैर्यवान और मेहनती होना बेहद जरूरी है।
डॉ. रोमन सैनी
स्कूली पढ़ाई जयपुर से फर्स्ट अटेम्प्ट में एमबीबीएस फर्स्ट अटेम्प्ट में आइएएस प्रिलिम्स, मेन्स और एसे में इंडिया में सर्वाधिक स्कोर लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज से प्रोफेशनल गिटारकी डिग्री अनएकेडमी प्रोग्राम के माध्यम से सिविल सर्विसेज एस्पिरेट्स को प्रोत्साहन पिता : रामावतार सैनी इंजीनियर, मां : अनिता सैनी हाउसवाइफ बड़े भाई : आवेश सैनी डॉक्टर, एमबीबीएच की पढ़ाई और इंटर्नशिप के बावजूद मेन्स में पूरे भारत मे सर्वाधिक स्कोर कर, इस धारणा को तोड़ा कि इतने मार्क्स ला पाना संभव नहीं है। मेरा मानना है कि अगर आप ठान लें, तो इस दुनिया में कुछ भी इपॉसिबल नहीं है ।
सिलेक्स में बदलाव अच्छा कदम है । सी-सैक के आने से स्केलिंग हट गई । फर्स्ट टाइम जो एग्जाम दे रहे है, उनके लिए आसान है क्वैश्चस । 2-3 अटेम्ट देने वाले लोग पहले के सिलेबस का फायदा उठा लेते थे, लेकिन सी-सैट और मेन्स से इथिक्स पेपर के आने के बाद अब ऐसी बात नहीं रही । जो भी पढ़े, याद रखें
सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने की सोच रहे अभ्यर्थियों को कम से कम एक से डेढ़ साल 5 से 6 घंटे रेगुलर पढ़ाई करनी चाहिए। एग्जाम के दो महीने पहले 9 से 10 घंटे पड़ना चाहिए। पर जितना भी पढ़ें, उसे पूरी तरह से समझने की कोशिश करें। प्लॉन बनाकर पढ़ाई करें। प्रिलिम्स और मेन्स में ऑप्शनल मेडिकल साइंस था, इसलिए इसकी तैयारी के लिए मुझे बहुत परेशान नहीं होना पड़ा। एनसीइआरटी, बेसिक बुक्स और द हिंदू न्यूजपेपर पर फोकस किया। इंटरव्यू के लिए संकल्प से मदद मिली। मदद की पहल
मैं उन आईएएस एस्पिरेट्स की मदद करना चाहता हूं, जो कोशिश कर पाने में सक्षम नहीं है। उनकी मदद के लिए मैंने यू-ट्यूब पर अनएकेडमी नाम से एक प्रोग्राम स्टार्ट किया है। इसे काफी पंसद किया जा रहा है। मुझे खुशी है कि मेरा प्रयास किसी को रास्ता दिखा रहा है।
यंगेस्ट आईएएस ऑफिसर और एंटरप्रिन्योर डॉ. रोमन सैनी एमएनआईटी में स्टूडेंट्स से रुबरु हुए :
हर शख्स जीनियस है. फर्क है तो बस खास काबिलियत का
जयपुर। जिंदगी में सक्सेस का ग्राफ हासिल करने के लिए मोटिवेशन के साथ पॉजिटिव थिंकिग चाहिए। यही वजह है कि अल्बर्ट आइंस्टाइन ने भी कहा था कि ‘हर शख्स जीनियस है, लेकिन एक मछली की योग्यता इस बात से तय करते हो कि वह पेड़ पर चढ़ जाएगी, तो अपनी पूरी जिंदगी यह सोचकर गुजार देगी कि वह बेवकूफ है ।’ यानी हर शख्स को अपना जीनियस तलाशने और खास काबिलियत को पहचानने की जरूरत है। क्या पता यही एक सोच आपको इंजीनियरिंग के बजाय कुछ ओर करने की राह दिखा दे ।
आपको वही करना चाहिए जिसमें वे अपना बेहतर दे सकें, साथ ही उसकी प्रतिभा बेहतर तरीके से सामने आए। एमएनआईटी के सेंट्रल लॉन में यंगेस्ट आईएएस, जबलपुर के असिस्टेंट कलेक्टर और एंअरप्रिन्योर जयपुर के डॉ. रोमन सैनी ऐसे ही कुछ मोटिवेशनल अंदाज में स्टूडेंट्स और प्रोफेसर्स से रूबरू हुए। उन्होंने ‘हाउ हु स्टडी इफेक्टिवली एंड प्रिपेयर स्ट्रेटेजी फॉर क्राफ्टिंग ड्रीम्ड कॅरिअर’ सब्जेक्ट पर आयोजित मोटिवेशनल टॉक अपने एक्सपीरियंस शेयर किए ।
सक्सेस का कोई शॉर्ट कट नहीं
सक्सेस की की सीढ़ियों तक पहुंचने के लिए शॉर्ट कट कभी काम नहीं आते। सफलता के लिए मेहनत करनी होगी। वहीं स्टडी करते हुए टुकड़ों में बांट कर यानी छोटे-छोटे ब्रेक लें। पढ़ाई एक साथ करने के बजाय रोजना थोड़ी-थोड़ी करें। रोजाना एक प्रतिशत नॉलेज बढ़ाने की कोशिश करेंगें तो एक साल में ही काफी बदलाव आ जाएगा ।
किसी एक सफलता पर रूकें नहीं, आगे बढ़ें
जीवन में जो लोग संतुष्ट हो जाते हैं, वे ठहर जाते हैं। यदि आप आगे बढ़ना चाहते हैं तो संतुष्ट न हों। बस, अचीव करें और बढ़ते रहें। अपनी लिमिट्स को पुश करने की कोशिश करें। भेड़चाल में दूसरों को फॉलो न करें। अपने कॅरिअर के बार में फैसला लेने का हक सिर्फ आपको है, इसलिए अपने कॅरिअर के लिए स्टैंड लें ।
अपनी प्रायोरिटीज को सेट करें
आईएएस की तैयारी के बारे में कहते हैं कि सबसे पहले सिलेबस को पढ़ना जरूरी है। सिलेबस कम्पलीट होने से तैयारी का आधार मजबूत हो जाएगा साथ ही बताया कि ‘जो लोग यह कहते हैं कि उनके पास टाइम ही नहीं है, दरअसल वे अपनी प्रायोरिटीज तय नहीं कर पाते, इसलिए पूरे दिन में अपने काम की प्रायोरिटी तय करें ।
स्टूडेंट का सवाल :
अनएकेडमी यूट्यूब चैनल की इंस्पिरेशन कहां से मिली ?
जवाब : जयपुर के यंगेस्ट आईएएस ऑफिसर कहते हैं कि हर साल दिल्ली में लाखों स्टूडेंट्स आईएएस की तैयारी के लिए आते हैं। अक्सर पैसों की कमी होने के बावजूद स्टूडेंट्स को कोचिंग का रूख करना पड़ता है। ऐसे ही अनेक स्टूडेंट्स के लिए बतौर प्रयोग एक वीडियो अपलोड किया था। सुबह देखा कि उस वीडियो को 25 हजार व्यूज मिले। रोमन फिलहाल स्टूडेंट्स को यूट्यूब, फेसबुक, टिवटर व मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए फ्री में मदद कर रहे हैं।