स्वर्गीय श्री जगदीश सिंह परिहार
सेठ श्री भीकमदास परिहार शिक्षा सेवा सदन ट्रस्ट के अध्यक्ष, बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी, समाज रत्न
पारिवारिक :
आप सेठ श्री भीकमदास जी परिहार के सबसे छोटे पुत्र थे। आपका जन्म कृष्ण जन्माष्टमी दिनांक 21.08.1935 को जोधपुर स्थित विजय चैक ननिहाल में स्व. श्री गंगाराम जी के निवास पर माताजी स्व. श्रीमती छीनिया देवी के कोख से हुआ। आपके चार भाई स्व. श्री राधाकिशन जी, स्व. श्री बस्तीराम जी, स्व. श्री घनश्यामदास जी, श्री विजेन्द्रसिंह जी है तथा तीन बहने स्व. श्रीमती सुंदरदेवी-टीकमसिंह जी टाक, स्व. श्रीमती छोटीदेवी-भंवरलाल जी देवड़ा एवं स्व. श्रीमती जशोदादेवी-भरतसिंह जी कच्छवाह थे।
आपकी शादी पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष ससुर ठेकेदार स्व. श्री भजनसिंह जी भाटी की पुत्री श्रीमती शान्तिदेवी के संग 1955 में हुई। आपके साले स्व. श्री सुखसिंह जी भाटी जोधपुर नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष रहे। आपके दो सुपुत्र चन्द्रशेखर एवं सुनील परिहार ( पूर्व अध्यक्ष राजसिको एवं पूर्व अध्यक्ष, माली संस्थान, जोधपुर ) एवं पुत्री प्रेरणा है। दामाद श्री नरपतसिंह जी सोलंकी इंजीनियर है। पौत्र धीरज, दिव्येश, हरित परिहार एवं पौत्री यामिनी व पौत्री दामाद श्री ज्योतिप्रकाश जी सांखला एवं दोहिती मेखला दोहिती दामाद सुनील जी पंवार है। पडपौत्री जैविका एवं पडपौत्र नक्ष एवं ग्रंथ सहित पूरा भरा पूरा परिवार है।
शिक्षा :
जोधपुर में ही स्नातक कॉमर्स तक की शिक्षा महाराज कुमार कॉलेज से की थी, शिक्षा के प्रारंभिक समय से वाचनालय की स्थापना एवं व्यायामशाला में सक्रिय योगदान रहा व अल्पायु (10 वीं कक्षा) में माताजी के निधन से आकस्मिक क्षति हुई। उसके पश्चात् सभी के सहयोग से संघर्ष करते हुए न केवल व्यापारिक क्षेत्र अपितु सामाजिक एवं राजनैतिक क्षेत्र में अपना वर्चस्व बनाया।
व्यापारिक क्षेत्र: प्रारंभ में पारिवारिक फर्म में रामबगस भीकमदास परिहार में अनाज, गुड, शक्कर इत्यादि के थोक व्यापार में लगे परंतु बचपन से ही उद्योग लगाने की लालसा रही। ऊन मिल व ग्वार गम उद्योगों हेतु देशी-विदेशी संस्थाओं से सम्पर्क किया परंतु सामाजिक व राजनैतिक कार्यों में लगने से किसानों की समस्याओं के निराकरण हेतु नगरपालिका का सीवेज फार्म लीज पर लिया फिर उद्यान विभाग से कुडी में कृषि फार्म लिया व खेती का काम किया। बाद में माणकलाव व रामपुरा, मथानिया में कृषि फार्म खरीदकर खेती का कार्य किया। आपमें उद्यमशीलता होने के कारण अपने दोनों पुत्रों-चन्द्रशेखर एवं सुनील को प्रेरित कर खनिज प्रसंस्करण की इकाई स्थापित करवायी। जोधपुर व बाडमेर में 4 इकाईयां स्थापित करवायी व खाद्य प्रसंस्करण की बोरानाडॉ फुड पार्क व स्पाईस पार्क में उद्योग लगाकर जगशान्ति गु्रप ऑफ इण्डस्ट्रीज की स्थापना की जो कि सफलतापूर्वक संचालित हो रहा है।
राजनैतिक जीवन :
छात्र जीवन में राजनैतिक क्षेत्र से जुडे रहे व गांधीजी से प्रभावित होकर सामंत एवं सांप्रदायिक ताकतों के विरूद्ध संघर्ष व आंदोलनों में हिस्सा लिया। 1952 में विधानसभा चुनाव से ही सक्रिय कार्य प्रारंभ किया व 1956 में नगरपालिका का चुनाव लडॉ। 1960 में कपडॉ बाजार ब्लॉक कांग्रेस के सचिव बने। कांग्रेस पार्टी में लगातार कार्य करने पर 1975 में भारतीय राष्ट्रीय छात्रसंघ (एनएसयूआई) की राजस्थान में स्थापना हेतु प्रयास किया व मनोनयन कमेटी के मार्गदर्शक रहते हुए राज्य एनएसयूआई संगठन के प्रथम अध्यक्ष पद पर श्री अशोक गहलोत की नियुक्ति में आपने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। 1980 में चैधरी चरणसिंह एवं नाथूराम मिर्धा की पार्टी-दलित, मजदूर, किसान पार्टी में शामिल होते हुए ओसिया विधानसभा से चुनाव लड और इस पार्टी का विलय होते हुए जनता दल की स्थापना हुई व प्रदेश उपाध्यक्ष बनकर 2 वर्षों तक कार्य करते हुए 1987 में राजनीति से सन्यास लिया और तत्पश्चात् सामाजिक क्षेत्र में निरंतर कार्य किया।
सामाजिक क्षेत्र :
सामाजिक क्षेत्र में कार्य करते हुए माली समाज को संगठित करते हुए युवा अवस्था में प्रदेश के जयपुर, अलवर, झुंझुनू, सीकर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, अजमेर, कोटा, बूंदी, बारां, जालोर, सिरोही, पाली, नागौर, बीकानेर इत्यादि जिलों में युवाओं के संगठन बनाये व पुष्कर में राजस्थान प्रदेश माली महासभा के गठन में श्री रघुनाथ परिहार, श्री फूलचंद सोलंकी सहित वरिष्ठजनों का सहयोग लिया एवं राज्यभर में सम्मेलनों के माध्यम से शिक्षा के जागरण व ग्रामीण विद्यार्थियों के लिए विभिन्न जिलों में छात्रावासों की स्थापना करवायी। सन् 1970 के दशक में जोधपुर शहर के बाहरी क्षेत्र- मण्डोर, मगरा पूंजला, सूरसागर में स्कूलों को क्रमोन्नत करवाने व विज्ञान विषय खुलवाने व नई सरकारी स्कूलों को खुलवाने में महत्ती भूमिका निभायी। वर्ष 1970 से 1975 तक वैदिक कन्या पाठशाला के संचालन समिति के अध्यक्ष, उम्मेद कन्या पाठशाला के सलाहकार व सुमेर उच्च माध्यमिक विद्यालय की संचालन कार्यकारिणी सदस्य के रूप में कार्य किया। रातानाडा स्थित छात्रावास को वर्ष 1972 में स्थापित करने के लिए परिवार को प्रेरित किया एवं स्थापना से ही इसके संचालन में प्रमुख भूमिका निभायी व वर्ष 1992 से इसे ट्रस्ट बना दिया। सेठ भीकमदास परिहार शिक्षा सेवा सदन की स्थापना कर सन् 1972 से संस्थापक व आजीवन अध्यक्ष रहे।
अन्य क्षेत्र :
सामाजिक क्षेत्र में माली समाज की प्रथम जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता सन् 1970 के दशक में आयोजित आपने करवायी एवं कई वर्षों से एकाकी प्रयास कर आयोजन करवाये। युवाओं से लगाव के कारण जोधपुर में राष्ट्र स्तर की अखिल भारतीय रघुनाथदास परिहार गोल्ड कप फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन संयोजक रहते हुए 3 बार करवाया। प्रदेश स्तर की कुश्ती प्रतियोगिता भी करवायी। बचपन से ही आर्य समाज से जुडे रहकर इनसे संचालित कई कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभायी। आपने दलित वर्ग को प्रोत्साहित करने हेतु हरिजन पुत्र को दत्तक पुत्र बनाया व पुत्रों व पुत्री को दलित बाहुल्य रातानाडॉ व पाबुपुरा स्कूल में पढाकर सामाजिक समरसता के भाव अपने परिवार व समाज में प्रेरित करवाये।
हम सभी परमपिता परमेश्वर से आपकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करते है।