शिक्षा के क्षेत्र में विशेष उपलब्धि स्व. श्री रामस्वरूप हरलाल सांखला
बैरियां मोहल्ला, सोजती गेट, जोधपुर निवासी श्री हरलाल जी सांखला के होनहार पुत्र डॉ. रामस्वरूप हरलाल सांखला का जन्म 21 नवम्बर 1922 को हुआ आपकी माताजी का नाम श्रीमती तुलसी देवी सांखला था। अल्पायु में पिता श्री हरलाल जी सांखला के निधन के बाद भी इन्होंने सम्बल नहीं सोया एवं ये साबित कर के दिखाया कि परिश्रम करने वाला व्यक्ति विकट परिस्थितियों में भी अंततः अपनी मंजिल अवश्य प्राप्त करता है। डॉ. सांखला ने आर्गेनिक केमिस्ट्री एवं बायोकेमिस्ट्री में पी.एच.डी. की तथा विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विश्व विद्यालय में प्रोफेसर/लेक्चरर के रूप में कार्य किया।
आपने सेकंडरी एवं इंटरमीडिएट तक की शिक्षा राजपुताना बोर्ड, अजमेर से प्राप्त की। हाई स्कूल सन 1992 में उतीर्ण की जिसमे गणित में विशेष योग्यता (Distinction) हासिल की। इंटरमीडिएट आपने सन 1944 में उतीर्ण की। आपने बी.एस.सी. एवं एम.एस.सी की उपाधि क्रमश: 1946 एवं 1948 में विश्वविख्यात विश्व विद्यालय बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय से प्राप्त की। आपका विवाह मेडती गेट. जोधपुर निवासी श्री सालगराम जी गहलोत की पुत्री श्रीमती सरोज से संपन्न हुआ। वर्ष 1948 में M.Sc. करने के पश्चात डॉ. सांखला ने बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय से” माइक्रोबायोलोजिकल प्रोडक्शन ऑफ सिट्रिक एसिड ” विषय पर शोध कार्य प्रारी किया तथा वर्ष 1951 में पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की। उसके पश्चात 1953 तक बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय में अध्यापन कार्य किया जिसमें इंटरमीडिएट के विद्यार्थियों को रसायन विज्ञान ( सैद्धांतिक एंव प्रायोगिक ) रोचक तकनीक से पढ़ाया। वर्ष 1953 में बनारास (अब वाराणसी) की सरला प्रेस से प्रकाशित पुस्तक “इंटरमीडिएट आर्गेनिक केमिस्ट्री-कंडेंस्ड” डॉ. सांखला ने लिखी।
उसके पश्चात यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से “ए स्टडी ऑफ द मेटाबोलिक प्रोडक्ट्स् ऑफ वैरियस मौल्ड्स” विषय पर शोध कार्य किया एवं 1956 में पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की। इसके अलावा बेक्ट्रियोलोजी, कचक विज्ञान, बायोकेमिस्ट्री, फूड एनालिसिस इत्यादि विषयों में कोर्स सफलतापूर्वक किये। डॉ सांखला ने फॉरेंसिक साइंस एंड टॉक्सिकोलॉजी विषय पर भी एक कोर्स नोर्थेने नाइजीरिया के काडुना राज्य में स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत किया। इनके कई वैज्ञानिक लेख भारत एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के जर्नलस मे छप चुके हैं। इसके अलावा 1954 में इन्हें बायोकैमिकल सोसाइटी, लन्दन का सदस्य भी चुना गया
डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद इन्होंने जे. लीयोंस एंड कंपनी (लंदन), नाइजीरिया आर्ट्स कॉलेज (Zaria), मेनचेस्टर विश्व विद्यालय (यु.के) एवं अहादु बेल्लो यूनिवर्सिटी, जारिया, उत्तरी नाइजीरिया इतयादि जगों पर अलग-अलग विषयों पर शोध कार्य किय। 1959-1964 के बीच यूनिवर्सिटी ऑफ लन्दन से आयोजित G.C.E (ए. लेवल) केमिस्ट्री की प्रयोगिक परीक्षा में परीक्षक (Examiner) के रूप में, तथा अहादुबेल्लो यूनिवर्सिटी में आर्गेनिक केमिस्ट्री के परीक्षक (University Examiner) के रूप में भी कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण किया। डॉ. सांखला ने अपने जीवनकाल में 45 देशों का भ्रमण किया, जिसमे अफ्रीका, एशिया, ब्रिटिश इस्लस एवं यूरोप के देश शामिल है।
इनके 5 पुत्रियाँ एवं 2 पुत्र हैं, ज्येष्ठ पुत्री डॉ. कल्पना (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष (सेवानिवृत), एस.एम.एस मेडिकल कॉलेज, जयपुर) जिनका विवाह पूर्व मंत्री नरसिंह कछवाहा निवासी एम.आई रोड,जयपुर के पुत्र डॉ. श्याम सिंह (वरिष्ठ सर्जन) से हुआ है। इनके दो पुत्रियाँ – डॉ. शल्या (पत्नी श्री जयेश सैनी, नैरोबी, केन्या) एवं सुश्री रूचिका एवं एक पुत्र चैतन्य सिंह (अध्ययनरत) हैं डॉ. सांखला की दूसरी पुत्री डॉ. प्रेरणा पत्नी डॉ. उम्मेद सिंह कछवाहा जो कि उप-अधीक्षक पद पर महात्मा गांधी अस्पताल, जोधपुर में कार्यरत है। इनके दो पुत्रियां- डॉ. (श्रीमती) आज्ञा (पत्नी भूदेव देवड़ा, रावत होटल, जयपुर) एवं डॉ (सुश्री) आस्था है। डॉ. सांखला की तीसरी पुत्री श्रीमती रचना पत्नी डॉ. तुलसीराम गहलोत, जोकि प्रधानाचार्यां पद पर राजकीय बालिका उच्च माद्यमिक विद्यालय, पूंजला, जोधपुर में कार्यरत है। इनके एक पुत्र अंकित सिंह एवं एक पुत्री सुश्री काव्या है। डॉ. सांखला की चोथी पुत्री स्व. श्रीमती अर्चना (पत्नी श्री दिनेश सिंह परिहार, महामंदिर निवासी, जोधपुर) जो कि अध्यापिका के रूप में प्रारंभिक शिक्षा विभाग, जोधपुर के कार्यरत थी। इनका आकास्मिक निधन वर्ष: 2012 में हो गया। इनके एक पुत्र आदित्य सिंह (अध्ययनरत) है। डॉ. सांखला की पांचवी पुत्री डॉ. (श्रीमती) नीरज वंदना (पत्नी डॉ गगन अरोड़ा), जो कि एनेस्थीसिया विशेषज्ञ के पद पर नोवा स्कोटिआ (कनाडा) में कार्यरत हैं। इनके दो पुत्र गौरव एवं निपुण (अध्ययनरत) है। डॉ साखला के ज्येष्ठ पुत्र श्री कणाद सिंह सांखला जिनका विवाह हाई कोर्ट कालोनी, जोधपुर निवासी श्री मोहन सिंह गहलोत की सुपुत्री श्रीमत पुष्पा से हुआ। श्री कणाद सिंह व्यवसायी हैं। इनके दो प्रमुख प्रखर एवं प्रकेत (अध्ययनरत) एवं एक पुत्री सुश्री अर्थदा हैं (अध्ययनरत) डॉ सांखला के दुसरे पुत्र श्री कपिल सिंह सांखला (पूर्व आई.ए.एस. (एलाइड ) दिल्ली एवं संघ शासित प्रदेश प्रशासनिक सेवा, जिनका विवाह जयपुर निवासी श्री बलदेव सिंह कच्छवाह की सुपुत्री प्रो. सुमिता (एसोसियेट प्रोफेसर, बॉटनी विभाग, राजस्थान विश्व विद्यालय, जयपुर) से हुआ। श्री कपिल सिंह पेश से वकील हैं एवं समाज सेवा करते हैं व कुछ स्वयंसंवी संस्थाओं से जुड़े हैं। इनके दो पुत्र सोभाग्य सिंह और संकल्प सिंह हैं (अध्ययनरत)।
डॉ रामस्वरूप हरलाल सांखला जी का हमेशा से ध्येय था कि वे अपनी संतानों को पढ़ा-लिखा कर काबिल कर समाज को समर्पित करें एवं उनका ये सपना पूर्ण भी हुआ है। सभी संतानों को शिक्षित करके समाज को समर्पित कर डॉ सांखला ने एक अच्छी मिसाल दी है। डॉ. राम स्वरूप हरलाल सांखला जी ने सेवानिवृति पश्चात से देहांत तक समाज की पत्रिका “प्रगतिशील सैनिक क्षत्रिय” के संस्थापक संपादक के रूप में भी बहुत अच्छे से कर्तव्य पालन किया। डॉ सांखला का निधन 27 अगस्त 1999 के जोधपुर में 77 वर्ष की आयु में हुआ।