सूरसागर माली-सैनिक क्षत्रिय संस्थान सूरसागर, जोधपुर
महाराज श्री सूरसिंह के नाम पर सूरसागर बसाया गया। यहाँ सूरसागर तालाब व पैलेस बनाये गये। विद्याशाला में सरकारी दफ्तर थे। यहाँ मियों का बाग, नैनसीबाग, व्यास बाग, तथा अंगे्रजों के समय यहाँ रेजीडेन्ट दफ्तर फौज के लिए बैरक(छावनी) आदि बनाये गये। 19वीं सदी के अन्त में एवं बीसवीं सदी के शुरू में सूरसागर व बालसमन्द पर छितरिया पत्थर की खाने बहुत कम थी। कहते है बीकानेर के सेठ श्री शिवरत्न मोहता ने कराची में छीतर के पत्थर का मार्केट बनाया, उसे देख कर जोधपुर के महाराज उम्मेदसिंह बहुत प्रभावित हुए तब उन्होंने जोधपुर में उम्मेद भवन, महात्मा गांधी अस्पताल, उम्मेद अस्पताल, हाईकोर्ट व कई प्रमुख भवनों, बंगलों का निर्माण छीतर के पत्थर से करवाया। उन भवनों, बंगलों को देखकर देश-विदेश के व्यक्ति बहुत प्रभावित हुए। इससे छीतर के पत्थर की बड़ी मांग हुई। बही भाटों से पता चलता है कि सर्वप्रथम दमजी पडियार मण्डोर से महाराजा श्री जसवन्तसिंह के समय सूरसागर में बागवानी करने लगे। यहाँ पड़ियार साँखला चैखां से गहलोत, बालसमन्दद गोलासनी से तंवर, मनाकी बावडी से सोलंकी कच्छवाहा आदि अन्य स्थानों से भाटी व अन्य जातियां जैसलमेर थली से ब्राह्मण समाज सेवकी से यहाँ आकर बस गये जिससे सूरसागर पत्थर की खानों के कारण एक छोटी बस्ती से विशाल रूप में बस गया है।
इस संस्थान का प्रधान कार्यालय संस्थान भवन – 4, सूरसागर जोधपुर में स्थित है। इसका कार्यक्षेत्र भोमियाजी की घाटी से मावडियों की घाटी के क्षेत्र सुखाराम दास के टाँका क्षेत्र, रघुदास की बावड़ी, रूपावतों का बास, गंवा, मन्नारी बाड़ी, राजबाग, (मालियों का), सूरसागर आदि क्षेत्र इस संस्थान मैं शमिल है। इस क्षैत्र में बसने वाले माली सैनी क्षत्रिय समाज के स्वजाति की समस्त शिक्षण संस्थाओं व अन्य संस्थाओं की देख-रेख, उन्नति समाज की चल-अचल सम्पति की नियन्त्रण व्यवस्था हेतु स्थापित की गई है।
इस संस्थान के अन्तर्गत निम्नलिखित सम्पति है :
- भवन संख्या 1 में बावडी व मन्दिर
- भवन संख्या 2 में बावडी के सामने वाला नया भवन
- भवन संख्या 3 में बावडी के सामने वाली पुरानी दुकानों वाला भवन
- भवन संख्या 4 में स्कूल के आगे नई दुकानों वाला भवन
- भवन संख्या 5 में गौशाला, मन्नारी बाड़ी
- भवन संख्या 6 में सूरज बेरे के पास
- भवन संख्या 7 व्यापारियों के मौहल्ले के पास
- भवन संख्या 8 बालविद्या पीठ पुत्री पाठशाला भवन
- भवन संख्या 9 में बालाजी का मन्दिर, मावड़ियों की घाटी के नीचे क्षेत्र आते है।
- इसके अलावा सुखराम दास टांका क्षेत्र, एवं गौशाला का भी माली समाज संचालन कर रहा है।