बालिका सीनियर सैकण्डरी विद्यालय सूरसागर, जोधपुर
शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए सूरसागर के आस-पास कोई बालिका पाठशाला नही थी, तब इस क्षेत्र के प्रमुख माली समाज के कार्यकर्ताओं की बैठक सन् 1936 में सूरसागर में बुलाई गई, जिसमें ठे. श्री देवाराम जी पुत्र श्री जालुराम कच्छवाहा, सेठ श्री शंकरलाल पुत्र श्री रामदास परिहार, ठे. श्री जयनारायण पुत्र श्री जीवराज जी गहलोत, ठे. श्री भिरदाराम पुत्र श्री जमनादास सोलंकी, ठे. श्री रामदयाल तंवर, श्री मूलसिंह कच्छवाहा, वकताजी का बेरा आदि ने भाग लिया तथा निर्णय लिया कि सूरसागर में बालिकाओं के लिए पाठशाला स्थापित की जाय। ठे. श्री देवाराम कच्छवाहा पुत्र श्री जालुराम ने सूरसागर में बालिकाओं की पाठशााला के लिए अपनी तरफ से सन् 1936 में जमीन दी तथा उसके चारों ओर परकोटा बना कर स्कूल भवन के लिए तीन कमरे, एक ऑफिस, एक स्टोर, एक प्याऊ तथा ऊपर जाने के लिए नाल बनाकर समाज को भेंट कर सन् 1936 में सैनिक क्षत्रिय प्राथमिक पाठशाला सूरसागर की स्थापना की।
प्रारम्भ में इस विद्यालय में बालक-बालिकाएँ साथ-साथ शिक्षा ग्रहण करते थे। इस प्राथमिक पाठशाला का आर्थिक सहयोग ऊपर लिखे संस्थापक सदस्य आदि संचालन करते थे। सन् 1936 में यह विद्यालय पूर्ण रूप से बालिकाओं के लिए हो गया और इसका नाम बाल विद्या पीठ पुत्री पाठशाला सूरसासगर रखा गया तथा इस पाठशाला को राजकीय अनुदान राशि मिलने लगी।