सुश्री लता कच्छवाह
लता जी द्वारा सन् 2011 अमेरिका में फेयर ट्रेड (यू एस ए की एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है) के माध्यम से कार्यक्रम में भाग लिया। फेयर ट्रेड संस्था दस्तकारी विकास के कार्यों के साथ साथ दस्तकारों के शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण आदि मुददों पर भी काम करके दस्तकारों के सर्वागीण विकास करके समाज के विकास की मुख्य धारा से दस्तकारों को भी जोडने का कार्य प्राथमिकता से कर रही है, दस्तकारी से होने वाली आय से उनके परिवार में बदलाव आये।
वहां पर विभिन्न शहरों की लगभग एक हजार दूकानें थी, इसी यात्रा के दौरान आपने ने सिएटल शहर में वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी में हस्तशिल्प पर लेक्चर भी दिया जिसका विषय था “हुनर मंद लोगों का सर्वांगीण विकास’’।
इस प्रकार इस हैडिक्राफ्ट के काम को बढावा देना, उनके हुनर का पूरा दाम मिलने के साथ उनके श्रम अधिभार को कम करना, इस काम से उनके जीवन में क्या बदलाव आया व उनके लिए सिर्फ रोजगार ही नहीं बल्कि बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य के विकास में उनकी भागीदारी में स्थान का भी सहयोग मिलेगें । कारीगरों के हुनर की गुणवत्ता बढाना उदेश्य बना और काम के साथ कारीगर महिलाओं को सिखाया की अपने काम का दाम स्वयं तय करें और पूरा दाम लेंवे। अभी तक कुल 10530 महिलाओं केा हस्तशिल्प का प्रशिक्षण देकर हाथों के हुनर से जोड़ा जो आज के समय में अपनी आजिविका वो स्वयं इसी काम से कर रही है और ये महिलाएं घर का सारा काम करने के बाद हस्तशिल्प कार्य करके प्रति माह 3000 रूपये हस्तशिल्प के काम से कमा रही है। साथ ही 80 महिलाओं को दक्ष प्रशिक्षक के रूप में तैयार किया है जो अन्य स्थानों पर जाकर महिलाओं को हस्तशिल्प का प्रशिक्षण दे रही है एवं प्रति माह 15000 रूपये कमा रही है।
इन्हीं कामों के साथ-साथ गांवों में अन्य मुद्दे भी निकलकर आये जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य महिलाओं की स्थिति, लिंग भेद, दलितों के साथ छुआछूत का व्यवहार, कृषि, पशुपालन, आदि। इन आवश्यकताओं को समझा और इस प्रकार आयवर्धन के साथ अन्य मुद्दों पर भी योजना बना कर कार्य प्रारंभ किया।
सुश्री लता ने आगे क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं की स्वास्थ्य देखभाल और व्यक्तिगत स्वच्छता पर काम किया। उन्होंने गर्भावस्था के पूर्व, दौरान एवं उपरांत की देखभाल, महिलाओं के पोषण, प्रसव संस्थानों की कमी, उच्च शिशु एवं मातृ मृत्यु दर और टीकाकरण के बारे में गलतफहमी के मुद्दों पर काम किया है। उसने क्षेत्र के पानी के मुद्दे पर काम किया। जलस्रोतों तक पहुँच सुनिश्चित की, विभिन्न जल स्रोतों का निर्माण नवीनीकरण, पुनरूद्धार का कार्य किया, शुद्ध पीने के पानी की उपलब्धता और पानी लाने के लिए महिलाओं की यात्रा के समय में कमी लाने अर्थात ड्रजरी रिडक्शन (महिला श्रम अधिभार) को कम करने के लिए घरों में पानी की छोटी छोटी टांकलियों का निर्माण करवाया ताकि महिलाएं उसमें 5-7 दिनों का पानी का संग्रहण कर सके एवं उस बचे हुए समय को दस्तकारी के काम में लगा कर आजिविका को बढावा दे सके।
सुश्री लता कच्छवाहा ने आपातकालीन राहत कार्य के दौरान बड़ी प्रतिबद्धता दिखाई है। मलेरिया (1994) और तपेदिक (1999-2000) की महामारी के दौरान वह एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता थीं और सैकड़ों गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य, हजारों महिलाओं के पोषण और बालिकाओं के स्वास्थ्य को सुनिश्चित किया। वह कवास (2006) में बाढ़ के आपातकालीन राहत कार्यों में प्रमुख थीं। सूखे में, वह एक सक्रिय समन्वयक थी।
सुश्री लता कच्छवाहा पंचायतीराज में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करने के मुद्दों पर महिलाओं के साथ काम किया। उन्होंने एससी एसटी, ओबीसी और सामान्य वर्ग की 6000 से अधिक महिलाओं के साथ काम किया है और उन्हें समाज के विभिन्न स्तरों पर निर्णय लेने में आगे बढ़ने के लिए प्रशिक्षित किया है। उन्होंने महिलाओं के आत्मनिर्भरता और महिलाओं में बेहतर प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए विकास के विभिन्न सफल मॉडल के लिए महिलाओं के प्रदर्शन को सुनिश्चित किया।
एक समय था जब क्षेत्र में महिला साक्षरता दर 3 प्रतिशत थी। यह तब था जब लता जी ने मौसमी छात्रावासों के आयोजन के लिए टीम का नेतृत्व किया, इसमें पलायन करने वाले परिवारों के बालक-बालिकाओं की शिक्षा बाधित नहीं हो इसके लिऐ मौसमी छात्रावासों का संचालन किया गया। आवासीय छात्रावासों व शिविरों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण बालिका शिक्षा, माता-पिता को प्रेरित करना और स्कूल में ड्रॉप-आउट दरों को कम करना, नामांकन बढ़ाना, बालिका शिक्षा (335 किशोरी बालिकाओं को आवासीय प्रशिक्षण शिविरों में रख कर शिक्षा से जोड़ा) आदि। बालिकाओं को रखा जाता था जो बकरियां चराने का कार्य करती थी जिनको शिक्षा से जोड कर पांचवी कक्षा तक आवासीय शिविरों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देकर आगे की कक्षाओं के लिए फॅार्म भरकर पढने के लिए प्रेरित किया। उनकी टीम ने विभिन्न सरकारी नेतृत्व वाली शैक्षिक परियोजनाओं और योजनाओं में भाग लिया। जैसे लोक जुंबिश, शिक्षाकर्मी, खोज, बालवाडी आदि। उन्होंने समग्र विकास के लिए परियोजनाओं का नेतृत्व किया।
सुश्री लता जी ने एकल महिलाओं, विधवाओं, शारीरिक अक्षमताओं वाली महिलाओं और वंचित सामाजिक वर्गो की महिलाओं के विकास के लिए काम किया है। उनके हक एवं अधिकारों की वकालत करने का उनका प्रयास सराहनीय है क्योंकि 100 से अधिक गांवों की महिलाओं को इसका लाभ मिल रहा है।
सुश्री लता की यह महत्वपूर्ण भूमिका है कि उनके काम के परिणामस्वरूप थार की हजारों महिलाओं की आत्म-सशक्तिकरण हुई, विशेष रूप से दलित महिलाओं, हजारों महिलाओं और लड़कियों की जागरूकता, महिलाओं की बेहतर सामाजिक स्थिति, महिला नेतृत्व, स्वास्थ्य देखभाल और स्वच्छता, जागरूकता, बालिकाओं के लिए बेहतर शिक्षा और जातिगत भेदभाव की खाई में कमी।
आपको जो मुख्य सम्मान मिले
सन् 1998 | इंटरनेशनल प्राइज फॉर वूमन क्रिएटीविटी इन रूरल एरिया (स्वीजरलैंड सरकार) |
सन् 1999 | महिला शक्ति अवार्ड (राजस्थान सरकार) |
सन् 2003 | संजय घोष अवार्ड (वोलेंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया) |
सन् 2011 | दिव्यांगों के विकास हेतु कार्य करने पर राजस्थान सरकार द्वारा राज्य पुरस्कार दिया गया। |
सन् 2019 | वुमन ऑफ ऑनर एचीवमेंट अवार्ड |
सन् 2020 | सैनिक क्षत्रिय माली सांस्कृतिक संवर्धन एवं शोध संस्थान, जोधपुर द्वारा जसधारी गोरांधाय पुरस्कार (प्रथम पुरस्कार) |
इसके अलावा जिला एवं संभाग स्तर पर कई पुरस्कार एवं सम्मान मिल चुके है।
महिला सशक्तिकरण (7871 महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ना, जनकल्याण कारी योजनाओं का लाभ दिलाना एवं उनको अपने हक एवं अधिकारों पर जागरूक किया), कृषि (कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा), पशुपालन (थारपारकर गाय की नस्ल का संरक्षण एवं विकास), डेयरी विकास, नेत्र स्वास्थ्य, मलेरिया रोकथाम, जल संरक्षण एवं संवर्द्धन (टांका, बेरी, टांकली व नाडी निमार्ण एवं मरम्मत), स्वास्थ्य में प्रजनन स्वास्थ्य, महिला स्वास्थ्य, बाल स्वास्थ्य, दिव्यांगों का पुनर्वास आदि के बारे में विस्तृत कार्य लता कच्छवाहा के निर्देशन में किया गया। ये सब कार्य बाडमेर, जैसलमेर एवं जालोर जिलों में किया गया है तथा सतत जारी है। गरीब पिछड़े तबके की महिलाओं को रोजगार के विकल्पों से जोड़ा।
72 साल की उम्र में, वह अभी भी एक बेहतर समाज के विकास के लिए ऊर्जा और आकांक्षाओं से भरी है। वह एक प्रेरणादायक महिला नेता हैं। आपने बाड़मेर, जैसलमेर जिलों में दृष्टि बाधित, अंध एवं एवं मूक बधिर, मानसिक विमंदितों के पुनर्वास का कार्य बड़ी तन्मयता से किया एवं उसके उपरांत श्री सत्य सांई अंध एवं मूक बधिर विधालय, मानसिक विमंदित पुनर्वास गृह की शुरूआत करके लाभार्थियो के जीवन में परिवर्तन लाने में आपकी सक्रिय भूमिका रही। जिले के सैकड़ो दिव्यांगो को शिक्षा, रोजगार तथा तकनीकी शिक्षा से लाभान्वित कर आपने उनके सपनो को नया आयाम दिया। उम्र के इस पड़ाव में भी आपकी समाज सेवा की भावना से हम सभी गौरवान्वित है। धन्य है हमारा समाज जहां आप जैसी महिला ने जन्म लिया।